नाभिस्त्वजनयत् पुत्रं, मेरुदेव्यां महाद्युति:।
ऋषभं पार्थिवं श्रेष्ठं, सर्वक्षत्रस्य पूर्वजम्।।
ऋषभाद् भरतो जज्ञे, वीर: पुत्रशताग्रज:।
सोऽभिषिच्याथ भरतं, पुत्रं प्राव्राज्यमास्थित:।।
हिमाह्वं दक्षिणं वर्षं, भरताय न्यवेदयत्।
तस्माद् भारतं वर्षं, तस्य नाम्ना विदुर्बुधा:।।१
अभिप्राय यह है कि नाभिराजा की पत्नी मेरुदेवी ने ऋषभ पुत्र को जन्म दिया। ऋषभदेव ने सौ पुत्रों में अग्रणी भरत को जन्म दिया और भरत का राज्याभिषेक कर उन्हें हिमाचल से लेकर दक्षिण देश तक राज्य देकर स्वयं दीक्षा ले ली। इन्हीं भरत सम्राट के नाम से यह देश ‘‘भारत’’ कहलाया है।