दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र मांगीतुंगी (नासिक-महा.) के ऋषभगिरि पर्वत पर अखण्ड पाषाण में १०८ फुट उत्तुंग भगवान ऋषभदेव प्रतिमा के निर्माण हेतु सर्वप्रथम ‘‘भगवान श्री ऋषभदेव १०८ फुट विशालकाय दिगम्बर जैन मूर्ति निर्माण कमेटी’’ का गठन ४ दिसम्बर १९९८ को नासिक से रजिस्ट्रेशन किया गया। सर्वप्रथम इस कमेटी में कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन, वर्तमान में पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी को अध्यक्ष मनोनीत किया गया। उनके साथ ही श्री जयचंद कासलीवाल आमदार-चांदवड़ को कार्याध्यक्ष, डॉ. पन्नालाल पापड़ीवाल-पैठण को महामंत्री, संघपति श्री महावीर प्रसाद जैन-दिल्ली को कोषाध्यक्ष तथा अन्य पदों पर विभिन्न पदाधिकारियों का मनोनयन किया गया। इस कमेटी के माध्यम से ही सर्वप्रथम वन विभाग-भारत सरकार की समस्त कार्यवाही पूर्ण करके पहाड़ पर सन् १९९९ में २ एकड़ भूमि विभाग से कमेटी के नाम हस्तान्तरित कराई गई, जिसे आज ‘‘ऋषभगिरि’’ के नाम से जाना जाता है।
३ मार्च २००२, रविवार को इस पर्वत पर मूर्ति निर्माण हेतु शिला पूजन किया गया। शिलापूजन का सौभाग्य संघपति श्री महावीर प्रसाद जैन-श्रीमती कुसुमलता जैन, साउथ एक्स.-दिल्ली ने प्राप्त किया। इस अवसर पर श्री कमलचंद जैन एवं श्री प्रेमचंद जैन, खारीबावली-दिल्ली आदि महानुभाव भी उपस्थित रहे। शिलापूजन के उपरांत सन् २०१२ तक पहाड़ पर मूर्ति निर्माण हेतु अखण्ड पाषाण को उकेरने का कार्य सम्पन्न हुआ। पुन: २५ दिसम्बर २०१२ को पर्वत पर अखण्ड पाषाण में मूर्ति कारविंग अर्थात् अंगोपांग निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ, जो माघ कृ. एकम्, २४ जनवरी २०१६ को सम्पन्न हुआ। अंत में २४ जनवरी को प्रतिमा पर भगवान के नेत्रों को उकेर कर इस प्रतिमा की पूर्णता घोषित की गई।
पुन: इस कमेटी के माध्यम से माघ शु. तृतीया से दशमी अर्थात् दिनाँक ११ फरवरी से १७ फरवरी २०१६ तक इस प्रतिमा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित किया गया और १८ फरवरी २०१६ से प्रारंभ होकर लगातार १ वर्ष तक इस प्रतिमा का ऐतिहासिक पंचामृत महामस्तकाभिषेक महोत्सव सम्पन्न हुआ। इन समारोह में भारत और विदेश की दिगम्बर जैन समाज ने लाखों की संख्या में भाग लेकर पुण्य एकत्रित किया और इतना ही नहीं महाराष्ट्र सरकार एवं नासिक प्रशासन ने भी ऐतिहासिक सहयोग देते हुए अनेक सुविधाओं की व्यवस्था करके महोत्सव को सफल किया। महोत्सव के मध्य ६ मार्च २०१६ को १०८ फुट विशाल भगवान ऋषभदेव की यह प्रतिमा गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड द्वारा विश्व की सबसे बड़ी जैन प्रतिमा और एक महान आश्चर्य के रूप में दर्ज की गई। मूर्ति निर्माण कमेटी को इस प्रतिमा निर्माण के लिए देश की सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज का भी आत्मीय सहयोग प्राप्त हुआ और सैकड़ों परिवारों ने दान देकर इस कार्य को सम्पन्न करने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
मूर्ति निर्माण के उपरांत सन् २०१६ में इस कमेटी के द्वारा मांगीतुंगी फाटा के निकट ‘‘ऋषभदेवपुरम्’’ तीर्थ का विकास किया जा रहा है। यहाँ पर सवा पाँच एकड़ भूमि क्रय करके विशाल नवग्रह शांति जिनमंदिर, सर्वतोभद्र महल, त्यागी भवन, यात्रियों की श्रेष्ठ आवास व्यवस्था, भोजनालय, ऑडिटोरियम हॉल, ऑफिस, पार्विंâग, गार्डन आदि विकसित करने की योजनाएं सफलता के साथ संचालित हो रही हैं। सर्वतोभद्रमहल, त्यागीभवन एवं १०० सुपर डीलक्स कमरों की धर्मशाला तो तैयार भी हो चुकी है और क्षेत्र पर नियमित भोजनशाला सुचारू चल रही है।वर्तमान में ठोस पाषाण से निर्मित हो रहे १३५ फुट ऊँचे गर्भगृह से सहित विशाल नवग्रहशांति जिनंदिर का निर्माण चल रहा है। विशेषरूप से भारत/महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से इस कमेटी द्वारा ऋषभदेवपुरम् तीर्थ पर यात्री सुविधा हेतु ‘पोस्ट ऑफिस’ एवं सुरक्षा हेतु ‘पुलिस चौकी’ का निर्माण भी किया गया है। अस्थाईरूप से नवग्रहशांति मंदिर में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु ऐसे नवग्रहों के अरिष्ट को दूर करने वाले ९ तीर्थंकर भगवान की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं, जिनका पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव तिथि-……………………….सन् २०१८………….में पूज्य माताजी के सान्निध्य में सानंद सम्पन्न हुआ था।
इसी प्रकार ऋषभदेवपुरम् से लगभग १.५ किमी. आगे मांगीतुंगी मार्ग पर सवा ६ एकड़ जमीन क्रय की गई है, जिसे ऋषभदेवपुरम् के अन्तर्गत ही भरत-चक्रवर्ती उद्यान के नाम से स्थापित किया गया है। यहाँ पर खुले आकाश में ………फुट उत्तुंग ग्रेनाइट पाषाण से निर्मित भगवान भरत स्वामी की प्रतिष्ठित पद्मासन प्रतिमा ऊँचे चबूतरे पर बनी वेदी और कमलासन में अत्यन्त शोभायमान स्थापित की गई हैं। पुन: पहाड़ पर वाहन से जाने वाले मार्ग की तलहटी में २ एकड़ भूमि में भगवान शांतिनाथ उद्यान की स्थापना की गई है, जहाँ लाल ग्रेनाइट में सवा ५ फुट ऊँची भगवान शांतिनाथ की पद्मासन प्रतिमा डेढ़ फुट ऊँचे कमल पर विराजमान की गई है, जिसकी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा फरवरी २०१६ के बड़े पंचकल्याणक में ही सम्पन्न की गई थी।
इसी प्रकार इस कमेटी के अनथक प्रयासों के द्वारा समस्त शासकीय और व्ान विभागीय कार्यवाही को पूर्ण करके ऋषभगिरी पर्वत पर मूर्ति स्थल तक वाहन से जाने हेतु लगभग ७ एकड़ का लगभग २ किमी………………लम्बा मार्ग अर्थात् कच्ची सड़क मूर्ति निर्माण कमेटी के नाम हस्तांतरित हुई है, जिस पर मूर्ति निर्माण कमेटी को रोड निर्माण, पानी की पाइप लाइन, बिजली लाइन, पीने के पानी की टंकी, पार्विंâग आदि का कार्य करने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इस प्रकार मूर्ति निर्माण कमेटी द्वारा सतत मांगीतुंगी क्षेत्र में विकास के कार्य और विभिन्न उत्सव-महोत्सव के माध्यम से धर्मप्रभावना के कार्य भी सम्पन्न हो रहे हैं।वर्तमान में इस मूर्ति निर्माण कमेटी के पदाधिकारियों में अध्यक्ष-पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी, अधिष्ठाता-इंजी. श्री सी. आर. पाटिल-पुणे (महा.), कार्याध्यक्ष-श्री अनिल कुमार जैन, प्रीतविहार-दिल्ली, महामंत्री-श्री संजय पन्नालाल पापड़ीवाल-पैठण (महा.), कोषाध्यक्ष-श्री प्रमोद कुमार जम्मनलाल कासलीवाल-औरंगाबाद (महा.), ट्रस्टी-श्री भूषण जयचंद कासलीवाल-चांदवड़ (महा.) तथा ट्रस्टी-डॉ. जीवन प्रकाश जैन, जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर तथा विभिन्न भक्तों की कुशल सेवाएँ प्राप्त हो रही हैं।