र्ज—हम सब उतारें…….
पुष्पदंत जिन चरण कमल की, आरति है सुखकार-२ ।
रत्नजटित दीपक ले आए, जिनवर तेरे द्वार।
हो प्रभुवर हम सब उतारें तेरी आरती, हो जिनवर हम…..।।टेक.।।
काकंदी में जब प्रभु जन्में, सुर नर जन हरषाए।
पितु सुग्रीव मात जयरामा, फूले नहीं समाए।।
हो प्रभुवर……………।।१।।
गर्भ-जन्म कल्याणक की तिथि, जग में मंगलकारी।
मगशिर सुदि एकम को प्रभु ने, जिनवर मुद्रा धारी।।
हो प्रभुवर……………।।२।।
कार्तिक सुदि दुतिया को केवल, लक्ष्मी ने ली शरणा।
भादों सुदि अष्टमि के दिन प्रभु, सिद्धिरमा को वरणा।।
हो प्रभुवर……………।।३।।
हे त्रैलोक्यपती जिनवर, हम चरण शरण में आए।
कीर्तिलता तव त्रिभुवन व्यापी, तेरे गुण मिल गाएं।।
हो जिनवर ………….।।४।।
तेरी दिव्यसुधावाणी, तिरने को उत्तम नौका।
पंचमगति के हेतू ‘इन्दू’, दो मुझको इक मौका।।
हो जिनवर………….।।५।।