१. कुण्डलपुर क्षेत्र की दीन दशा।
२. कुण्डलपुर विकास के लिए चातुर्मास स्थापित।
३. अनेक निर्माण कार्यों के साथ नवग्रह शांति जिनालय का निर्माण एवं पंचकल्याणक।
४. राजगृही में वीर शासन जयंती।
५. पर्यूषण पर्व पर माताजी के अमूल्य प्रवचन।
६. कल्पद्रुम महामंडल विधान का आयोजन।
७. शरदपूर्णिमा महोत्सव।
८. तीर्थंकर जन्मभूमियों के विकास के लिए समिति का निर्माण।
९. पावापुरी में वीर निर्वाण महोत्सव माताजी की सन्निधि में ।
१०. श्री पार्श्वनाथ तृतीय सहस्राब्दि महोत्सव मनाने हेतु संकल्प दीप का प्रज्वलन।
११. पावापुरी में नवीन मंदिर में महावीर प्रतिमा प्रतिष्ठापित एवं पंचकल्याणक।
१२. राजगृही में पंचकल्याणक।
१३. कुण्डलपुर में पुन: पंचकल्याणक।
१४. महावीर जयंती पर ग्रामवासियों को माँसाहार त्याग की प्रेरणा।
१५. कुण्डलपुर में लघु पंचकल्याणक।
महावीर की जन्मभूमि है, नालंदा श्री कुण्डलपुर।
वर्ष सैकड़ों बीते पर ना, गया किसी का ध्यान इधर।।
रुके न यात्री, साधु यहाँ पर, रहे न कोई व्यवस्था है।
धीरे-धीरे हुई क्षेत्र की, अति ही दीन अवस्था है।।१२८६।।
हुआ न अब तक किसी साधु का, ग्रीष्मकाल या चातुर्मास।
बोलो, होवे किस प्रकार फिर, किसी क्षेत्र का उचित विकास।।
जन्मभूमियाँ भगवन्तों की, अब प्रकाश में लाना है।
दृढ़ संकल्प किया माताजी, कुण्डलपुर चमकाना है।।१२८७।।
पुरा जिनालय गिरते जायें, बनते जायें नये-नये।
इसका कुछ औचित्य नहीं है, महज्जनों ने शब्द कहे।।
नये जिनालय मत बनवाओ, करो पुरानों का उद्धार।
अधिक पुण्यफल पा जाओगे, कहते जिनवच बारम्बार।।१२८८।।
शुभ विचार कर माताजी ने, किया कुण्डलपुर चातुर्मास।
जन्मभूमि यह महावीर की, करना इसका उचित विकास।।
माताजी का चतुर्मास यह, है ऐतिहासिक सभी प्रकार।
तीर्थक्षेत्र के खुलेंगे इससे, नवविकास के मंगलद्वार।।१२८९।।
नंद्यावर्त महल परिसर में, नये जिनालय बने अनेक।
नवग्रह शांति जिनालय भी है, उनमें से शुभ मंदिर एक।।
पंचकल्याणक, बिम्बप्रतिष्ठा, हुए विराजित श्रीजिनराज।
किया नमन श्रीमाताजी को, एतदर्थ सब जैन समाज।।१२९०।।
महावीर देशना स्थली, राजगृही है क्षेत्र महान।
शासन वीर जयंति महोत्सव, गया मनाया माँ सन्निधान।।
तीन दिवस के आयोजन में, हुआ महामस्तक अभिषेक।
धन्य हुआ विपुलाचल पर्वत, हर्षे सब नाटक को देख।।१२९१।।
पर्वराज पर्यूषण आया, कुण्डलपुर में हर्ष अपार।
श्रवण किए जन मंगल प्रवचन, साधु-सुमुख से पहली बार।।
माताजी ने दशधर्मों पर, जो प्रवचन मनहार दिए।
जन साधारण ने सुन उनको, अपने मन में धार लिए।।१२९२।।
तत्त्वार्थसूत्र श्री मोक्षशास्त्र पर, माता के प्रवचन अनमोल।
सुन लगता ज्यों दिया किसी ने, कर्णांजलि में अमृत घोल।।
अब तक समझ न पाये थे जन, मोक्षशास्त्र किस खग का नाम।
सुने शब्द श्रीमुख माताजी, किया सभी ने नम्र प्रणाम।।१२९३।।
महाराष्ट्र प्रांत से आया, मंडल गणिनी ज्ञानमती।
कल्पदु्रम विधान सम्पन्ना, भक्तिभाव उत्साह अती।।
श्री कुण्डलपुर प्रथम महोत्सव, गया मनाया हर्ष महान्।
माताजी की रही प्रेरणा, उनका ही पावन सन्निधान।।१२९४।।
अनेकानेक संस्थाओं के, अधिवेशन भी हुए मुदा।
माताजी से रचित अनेकों, हुए विमोचित ग्रंथ तदा।।
बहु विद्वत्जन हुए पुरस्कृत, किए धर्महित उत्तम कार्य।
उत्तम कार्यकर्ताओं को, पुरस्कार होते अनिवार्य।।१२९५।।
शरद पूर्णिमा आई है, माँ का सत्तरवाँ जन्म दिवस।
गया मनाया सोत्साह, सम्पूर्ण देश में पैâला यश।।
माता हैं प्रभु भक्ती में रत, भक्त करें पूजन इनकी।
जब तक नभ में रवि-शशि-तारे, शाश्वत हो जीवन झाँकी।।१२९६।।
ऋषभदेव निर्वाण वर्ष में, किया अहिंसा धर्म प्रचार।
हुए पुरस्कृत पुरस्कार से, श्री वी.धनंजय कुमार।।
वर्तमान सोलह तीर्थंकर, जन्मभूमियाँ होय विकास।
बनी समिति की हुई घोषणा, माताजी सन्निधि खास।।१२९७।।
महावीर निर्वाणभूमि है, सिद्धक्षेत्र श्री पावापुर।
निर्वाण महोत्सव गया मनाया, माता सन्निधि हर्षित उर।।
वैâलाशचंद लखनऊ चढ़ाया, प्रथमसिद्ध लाडू निर्वाण।
प्रथमबार माँ किए महोत्सव, हुईं प्रफुल्लित हर्ष महान।।१२९८।।
पार्श्वनाथ तृतीय सहस्राब्दि, चले मनाने को।
संकल्प दीप का हुआ प्रज्ज्वलन, मन चैतन्य जगाने को।।
कुण्डलपुर सह भेलूपुर में, सम्पन्न हुआ यह यज्ञ महान।
दो हजार पाँच सन् आया, गया मनाया सकल जहान।।१२९९।।
पावापुर निर्वाण क्षेत्र है, महावीर जिन स्वामी का।
हुआ स्थापित नव जिनमंदिर, बिम्ब वीर अभिरामी का।।
माताजी की रही प्रेरणा, सन्निधान भी रहा ससंघ।
ग्यारह फुट खड्गासन प्रतिमा, पंचकल्याणक रहा प्रसंग।।१३००।।
राजगृही जी तीर्थक्षेत्र है, मुनिसुव्रत का जन्म स्थान।
महावीर की दिव्य देशना, खिरी प्रथम इस ही स्थान।।
माताजी के सन्निधान में, सम्पन्न हुए पंचकल्याण।
मुनिसुव्रत प्रतिमा बारह फुट, खड्गासन नव मंदिर जान।।१३०१।।
शत-इक फुट उत्तुंग जिनालय, महावीर जिन शोभित है।
ऋषभदेव-ग्रहशांति जिनालय, सबके मन को मोहित हैं।।
माताजी के सन्निधान में, हुए कार्यक्रम मनमोहन।
कुण्डलपुर परिसर सम्पन्ने, वेदिप्रतिष्ठा-कलशारोहण।।१३०२।।
श्री कुण्डलपुर नालंदा ही, जन्मभूमि है श्री महावीर।
प्रस्तावित है द्वार सड़क पर, मारग दीपनगर के तीर।।
शिलान्यास सम्पन्न किया था, तरुण विधायक श्रवण कुमार।
पावन सन्निधि माताजी की, किया सहयोग रवीन्द्र कुमार।।१३०३।।
श्री महावीर जयंती आई, सह उत्साह मनाई है।
नंद्यावर्त महल परिसर में, नई चेतना आई है।।
ग्रामवासियों से मिलकर के, शाकाहार प्रचार किया।
अण्डा-मछली-माँस आदि को, कई जीवन भर त्याग किया।।१३०४।।
नंद्यावर्त महल परिसर में, माताजी के संघ सन्निधान।
चंद्र-शांति-पारस बिम्बों के, हुए लघू पंचकल्याण।।
जन्मभूमि श्री कुण्डलपुर की, समिति पधारी माँ के पास।
किया निवेदन, श्रीफल अर्पण, करें यहीं पर चातुर्मास।।१३०५।।