प्रवचनकर्त्ता विद्वान् को पहले निम्नलिखित चार बातों को समझ लेना अति आवश्यक है-प्रवचनकर्त्ता, प्रवचन का विषय, प्रवचन और प्रवचन का फल। अर्थात् प्रवचनकर्त्ता वैâसा होना चाहिए ? उसमें क्या-क्या गुण आवश्यक हैं ? प्रवचन का विषय क्या है ? प्रवचन किसे कहते हैं ? और प्रवचन का फल क्या है ?
इन चारों को समझकर प्रवचन करने वाला विद्वान् स्वपर हितकारी होता है।