-आर्यिका चंदनामती
तर्ज – जरा सामने तो आओ………….
णमोकार धाम तीरथ महान है, पंचपरमेष्ठी का जो धाम है।
सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्र के निकट, सनावद में बना पुण्यधाम है।।
काल अनादी से जिनधर्म का, मूलमंत्र णमोकार ही है।
अपराजित उस मंत्र की महिमा, बतलाते सब शास्त्र भी है।।
उसी मंत्र का जहाँ गुणगान है, ऋषभदेव जी की प्रतिमा महान है।
सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्र के निकट, सनावद में बना पुण्य धाम है।।१।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी से यह योजना मिली।
मोतीसागर जी की प्रेरणा मूर्तरूप में यहाँ फली।।
जहाँ सुन्दर बना उद्यान है, शुभ भावों का जो स्थान है।
सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्र के निकट, सनावद में बना पुण्यधाम है।।२।।
णमोकार के पैंतिस अक्षर, पाँच हैं पद साकार जहाँ।
वही ‘‘चंदनामती’’ पंच-परमेष्ठी पावन धाम कहा।।
ऐसे तीरथ को मेरा प्रणाम है, युग-युग तक रहे इसका नाम है।
सिद्धवरकूट सिद्धक्षेत्र के निकट, सनावद में बना पुण्यधाम है।।३।।