-आर्यिका चंदनामती
तर्ज-तन डोले………..
णमोकार बोलो, फिर आँख खोलो, सब कार्य सिद्ध हो जाएँगे,
नर जन्म सफल हो जाएगा।।
प्रात:काल उषा बेला में, बोलो मंगल वाणी।
हर घर में खुशियाँ छाएँगी, होगी नई दिवाली।। रे भाई…….
प्रभु नाम बोलो, निजधाम खोलो, सब कार्य सिद्ध हो जाएँगे,
नर जन्म सफल हो जाएगा।।१।।
परमब्रह्म परमेष्ठी की शक्ती, यह मंत्र बताता।
णमोकार के उच्चारण से, अन्तर्मन जग जाता।। रे भाई……
नौ बार बोलो, सौ बार बोलो, सब कार्य सिद्ध हो जाएँगे,
नर जन्म सफल हो जाएगा।।२।।
ॐ शब्द का ध्यान ‘‘चन्दना’’ मन को स्वस्थ बनाता।
इसके ध्यान से मानव इक दिन, परमेष्ठी पद पाता।। रे भाई….
नौ बार बोलो, सौ बार बोलो, सब कार्य सिद्ध हो जाएँगे,
नर जन्म सफल हो जाएगा।।३।।
-आर्यिका चंदनामती
—शिखरिणी छंद—
णमो अरिहंताणं, नमन है अरिहंत प्रभु को।
णमो सिद्धाणं में, नमन कर लूँ सिद्ध प्रभु को।।
णमो आइरियाणं, नमन है आचार्य गुरु को।
णमो उवज्झायाणं, नमन है उपाध्याय गुरु को।।।१।।
णमो लोए सव्व-साहूणं पद बताता।
नमन जग के सब, साधुओं को करूँ जो हैं त्राता।।
परमपद में स्थित, कहें पाँच परमेष्ठि इनको।
नमन इनको करके, लहूँ इक दिन मुक्तिपद को।।२।।
सभी के पापों को, शमन करता मंत्र यह ही।
तभी सब मंगल में, प्रथम माना मंत्र यह ही।।
जपें जो भी इसको, वचन मन कर शुद्ध प्रणति।
लहें वे इच्छित फल, हृदय नत हो ‘चन्दनामति’।।३।।