वन्दनासिद्धये यत्र येन चास्ते तदुद्यत:। तद्योग्यासनं देश: पीठं पद्मासनाद्यपि।।३।।
अर्थात्-वन्दना की निष्पत्ति के लिये वन्दना करने को उद्युक्त साधु , जिस देश में, जिस पीठ पर और जिन पद्मासनादि आसनों से बैठता है उसे योग्य आसन कहते हैं।।३।।