जिना: पद्मासनादीनामज्र्मध्ये निवेशनम् । उत्तानकरयुग्मस्य योगमुद्रां बभाषिरे।।९।।
अर्थात्-पद्मासन, पर्यज्रसन और वीरासन इन तीनों आसनों की गोद में नाभि के समीप दोनों हाथों की हथेलियों को चित रखने को जिनेन्द्रदेव योगमुद्रा कहते हैं।।९।।