तर्ज—इस युग की माँ शारदे…….
शिरडी के पारस प्रभू, स्वर्णिम तेरा धाम है।
ज्ञानतीर्थ नाम है, तीर्थ ये महान है, सबका परमधाम है।।शिरडी के.।।
जिनधर्म के चौबिस जिनवरों में,
तेइसवें प्रभु पारसनाथ हैं।
उपसर्गजेता इन्द्रिय विजेता,
हम सबके प्रभु पारसनाथ हैं।
सबको शक्ति देके, सिद्धिप्रिया लेके, तीनलोक के बन गये नाथ हैं।
केतूग्रह की शान्ति हो, लें पार्श्वप्रभु नाम हैं।
ज्ञानतीर्थ नाम है, तीर्थ यह महान है, सबका परमधाम है।।१।।
यदि आपके जन्म की कुण्डली में,
है काल के सर्प का योग भी।
शिरडी के पारस प्रभु की कृपा से,
नश जाते सब रोग अरु शोक भी।।
तुम भी करो भक्ती, तब मिलेगी शक्ती, भौतिक सभी सुख की प्राप्ति हो।
चिंतामणि पारसप्रभू, इनका अपर नाम है।
ज्ञानतीर्थ नाम है, तीर्थ यह महान है, सबका परमधाम है।।२।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी का,
आशीष सब भक्तों को मिला।
सुंदर कमल का मंदिर तभी तो,
जल में कमल पुष्प सदृश खिला।
‘‘चन्दनामती’’ यह, मूर्ति मनोहर है, सबके लिए मानो वरदान है।
शिरडी में जाकर जपो, पारसप्रभू नाम है।
ज्ञानतीर्थ नाम है, तीर्थ यह महान है, सबका परमधाम है।।३।।