धरती का तुम्हें नमन है, आकाश का तुम्हें नमन है।
तीन लोक के सौ इन्द्रों ने, किया तुम्हें वंदन है।।
सौ-सौ बार नमन है-२
पार्श्वनाथ प्रभु के चरणों में, सौ-सौ बार नमन है।।टेक.।।
तीन तीर्थ माने हैं जिनके, पंचकल्याण से पावन,
वाराणसि, अहिच्छत्र और सम्मेदशिखर मनभावन।
इनके दर्शन से भक्तों के, पावन होते मन हैं,
सौ-सौ बार नमन है, पार्श्वनाथ प्रभु……।।१।।
वर्तमान में पार्श्वनाथ का, अतिशय खूब बखाना,
अंतरिक्ष, शिरपुर, चंवलेश्वर, मक्सी, अडिन्दा जाना।
अतिशायी कचनेर में जाकर, करो प्रभू दर्शन है,
सौ-सौ बार नमन है, पार्श्वनाथ प्रभु……।।२।।
कर्नाटक के बीजापुर में, सहस्रफणा पारस हैं,
जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में, चिन्तामणि पारस हैं।
भारत के अनेक नगरों में, पारस प्रभु मंदिर हैं,
सौ-सौ बार नमन है, पार्श्वनाथ प्रभु……।।३।।
गणिनी ज्ञानमती माता, कहती हैं सब भक्तों को,
पारस प्रभु के अतिशय से, परिचित करवाओ सबको।
सभी ‘‘चन्दनामती’’ हमेशा, उत्सव करो सफल है,
सौ-सौ बार नमन है, पार्श्वनाथ प्रभु……।।४।।