-ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ)
आरति करो रे……..
ज्वालामालिनि देवी की, सब मिल आरति करो रे।
आरती करो, आरती करो, आरती करो रे,…….
श्री चन्द्रप्रभू की शासन देवी के पद नम लो रे।।टेक.।।
सम्यग्दृष्टी हो तुम माता, दुख संकट क्षण में हरती।
चन्द्रप्रभू जिन के भक्तों के, मनवांछित पूरे करतीं।
आरती करो, आरती करो, आरती करो रे,…….
उन धर्मनीतिवेत्ता माता की आरति करो रे।।
ज्वालामालिनि देवी की, सब मिल आरति करो रे।।१।।
विजय यक्ष की प्रियकारिणी हो, अतुल शक्ति की धारक हो।
धन सुख संपति संततिदायक, रोग शोक भय नाशक हो।।
आरती करो, आरती करो, आरती करो रे,…….
मनहारी छवि युुत उन माता की आरति करो रे।।२।।
दीप, धूप अरु पुष्पहार ले, आरति करने आए हैं।
जिनशासन देवी तुम नमते, आशा यही सजाए हैं।।
आरती करो, आरती करो, आरती करो रे,…….
जिनधर्म में दृढ़ता रहे ‘इन्दु’ सब आरति करो रे।।३।।