-ब्र. कु. इन्दु जैन (संघस्थ)
ॐ जय विजय यक्ष देवा, स्वामी जय विजय यक्ष देवा।
धर्मप्रभावन तत्पर, मंगलमय देवा।।
ॐ जय विजय यक्ष देवा…।।टेक.।।
चन्द्रप्रभू के शासन यक्ष हो, महिमा तव न्यारी, स्वामी………
जिनभक्तों के रक्षक, छवि है मनहारी।।
ॐ जय विजय यक्ष देवा…।।१।।
रोग शोक भय नाशक, मंगलकर्ता हो….स्वामी…….
धन धान्यादिक वैभव, सब सुखभर्ता हो।।
ॐ जय विजय यक्ष देवा…।।२।।
ज्वालामालिनि के तुम स्वामी, तव महिमा गाऊँ, स्वामी……..
सम्यग्दृष्टी देव तेरी, आरति कर हरषाऊँ।।
ॐ जय विजय यक्ष देवा…।।३।।
यशअर्थी सुतअर्थी भक्तीवश तुमको ध्याते….स्वामी……..
हर मनवाञ्छा पूरी होती, उज्ज्वल यश पाते।।
ॐ जय विजय यक्ष देवा…।।४।।
श्रद्धायुत शुभ भाव सजाकर, द्वार तेरे आए…..स्वामी……
‘इन्दु’ कृपा हो हम भक्तों पर, आश यही लाए।।
ॐ जय विजय यक्ष देवा…।।५।।