मासिक में अधिक रक्तस्राव होने पर अधिक दिनों तक रक्तस्राव होने पर ५ दिन के बाद चने के बराबर फिटकरी का फूला केले में रखकर खाना ५–७ दिन खाने में रक्तस्राव बंद हो जाता है एवं मासिक बंद होने की उम्र आने पर भी मासिक की गड़बड़ी होने पर भी फिटकरी का फूला केले में लेना या केले में घी लगाकर कुछ माह तक खाये तो मासिक बंद हो जाता है। मासिक धर्म खोलने के लिए बायविडंग ५ ग्राम बारीक कूटकर पानी में औटायें, आधा पानी रहने पर गुड़ डालकर छानकर मासिक आने के ४—५ दिन पहले पीना, चार मात्रायें देनी चाहिए। मासिक धर्म अधिक आने पर लोहा गर्म करके दूध में कई बार बुझायें, यह दूध पिलाते रहें, रोग ठीक हो जाता है। श्वेत प्रदर लोध पीसकर २—३ माशा प्रतिदिन खिलाते रहें या इमली के बीज भूनकर छिलका निकालकर बारीक पीस लें, बराबर मिश्री मिलाकर २ तोला सुबह- सुबह गाय के दूध के साथ खाने से २० दिन में सफेद पानी निकलना बन्द हो जाता है। रुका हुआ मासिक धर्म मासिक आने के ७ दिन पहले १० ग्राम अजवाइन और गुड़ को पानी में उबालकर ७ दिन तक पीने से रुका हुआ मासिक ठीक हो जाता है। सरलतापूर्वक प्रसव — हींग भूनकर चूर्ण बना लें, चार माशा गाय का घी में मिलाकर खिलाने से सरलतापूर्वक प्रसव में सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त १ तोला राई के चूर्ण में भुनी हुई हींग का चूर्ण मिलाकर गरम जल के साथ लेने से गर्भ में मरा बच्चा आसानी से बाहर आ जाता है। ‘बांझपन मिटाने के लिए— नागकेशर ८०० ग्राम पीसकर छानकर मासिक धर्म आ चुकने पर रोज ५ ग्राम सुबह शाम गाय के दूध के साथ १५ दिन स्त्री को खिलायें, निश्चय ही पुत्रवती होगी। प्रदर- सिंघाड़े के आटे का हलुवा खाने से श्वेत प्रदर और रक्त प्रदर ठीक हो जाता है। सिके हुए चने पीसकर उनमें खाण्ड मिलाकर खायें। ऊपर से दूध में देशी घी मिलाकर पियें, इससे श्वेत प्रदर गिरना बंद हो जाता है। हिस्टीरिया —हिस्टीरिया को पहचानने के निश्चित लक्षण नहीं होते। हिस्टीरिया का प्रमुख लक्षण मूर्छा या बेहोशी का दौरा है। दौरा २४ से ४८ घंटे तक देखा गया है। किसी—किसी को बार—बार जल्दी—जल्दी दौरा आता है। दौरे के समय रोगी को कुछ ज्ञान नहीं रहता है। इसमें रोगी के मन और मस्तिष्क के लक्षणों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। यह रोग अधिकतर स्त्रियों को होता है। गर्म पानी में नींबू, नमक, जीरा, हींग भुना हुआ और पोदीना मिलाकर पियें। यह प्रयोग कम से कम एक माह तक करें। लाभ होगा। स्त्रियों के हिस्टीरिया या बेहोश होने पर प्याज का रस सुंघाने से होश में आ जाती है। मूर्छा भी ठीक हो जाती है। इसमें हींग सुंघाने से होश में आ जाता है। दूध वृद्धि— कच्चे पपीते की सब्जी खिलाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। पका हुआ पपीता खाने से भी दूध बढ़ता है। स्तनों में दूध की कमी होने पर जीरा भूनकर चीनी के साथ दो बार दें, दूध बढ़ेगा। कष्टार्तव— गुड़ और अजवाइन घी में हलवे की तरह बनाकर खाने से दर्द एवं रुककर आने वाला मासिक धर्म ठीक हो जाता है। जिन अविवाहितों को मासिक धर्म में दर्द होता है वे सोंठ और पुराने गुड़ का काड़ा पियें। परहेज शीतल पेय तथा खट्टी चीजों का रखें। लाभ होगा। यदि मासिक धर्म के दिनों में दर्द जाँघों में हो तो मासिक धर्म के दिनों में नित्य नीम के पत्तों का रस ६ ग्राम, अदरक का रस १२ ग्राम, इतने ही पानी में मिलाकर पिलायें। दर्द में तुरन्त आराम होगा। चार चम्मच पिसी हुई राई को दो गिलास पानी में उबाल कर छानकर उसमें कपड़ा भिगोकर पेट का सेक करें। इससे मासिक स्राव खुलकर आता है। मासिक स्राव में होने वाला दर्द ठीक हो जाता है। मासिक स्राव कम आता हो तो हींग का सेवन लाभ देता है। २० ग्राम धनिया, २०० ग्राम पानी में उबालें, जब ५० ग्राम पानी रह जाए तो छानकर मिश्री मिलाकर पिला दें। इससे मासिक धर्म में अधिक रक्त आना बंद हो जाएगा। पिसा हुआ धनिया, देशी बूरा, घी—तीनों को समान मात्रा में मिलाकर दो चम्मच तीन बार खाने से रक्त गिरना बंद हो जाता है। अनार्तव ठंडी हवा या पानी में काम करने से मासिक धर्म नहीं आ रहा हो तो दो—दो ग्राम नमक पानी से दिन में तीन बार लेने से मासिक धर्म आने लगता है। रुके हुए मासिक धर्म को खुलकर लाने के लिए ६ ग्राम अजवाइन का चूर्ण दो बार गर्म दूध से लें। मासिक धर्म रुकने पर तुलसी के बीज एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर आधा पानी रहने पर पीने से मासिक धर्म आने लगता है।