बच्चों का कब्ज १ या २ वर्ष के बच्चों में कब्ज है ,शिशु दूध उलटता हो तो नींबू के रस की कुछ बूंदें पानी में मिलाकर पिला दें। उल्टी में नींबू को गरम नहीं करना चाहिये, नींबू में इलायची भरकर चूसने से लाभ होता है। दुसाध्य उल्टियों को रोकने के लिए राई का लेप आश्चर्यजनक वस्तु है। पेट पर लगाना चाहिये। राई पीसकर पेट पर गीला मलमल का कपड़ा बिछाकर उस कपड़े पर राई का लेप कर दें। इसे १५ मिनट रहने दें उल्टियाँ बन्द हो जायेंगी। बार बार उल्टी होने पर बर्फ चूसने से बंद होती है जो ना चूस सके तो बर्फ से पेट सेंकने पर उल्टियाँ बन्द होती हैं।
छोटे बच्चों की उल्टी — एक चम्मच अनार का रस पिलायें और तुरन्त लाभ ना हो तो ३—४ बार इसी मात्रा में यह रस पिलायें।
मिट्टी खाना —बच्चे को मिट्टी खाने की आदत हो तो आम की गुठली ताजा पानी में घिसकर पिलाने पर बच्चे मिट्टी खाना छोड़ देते हैं। केला और चासनी मिलाकर खिलाने से भी मिट्टी की आदत छूट जाती है। बच्चों काे दूध नहीं पचता दूध पीते ही कै दस्त होते हैं तो उनका दूध बंद करके सेब का रस थोड़े थोड़े समय बाद देने से कै दस्त बन्द हो जाते हैं। सेब खून के दस्तों को भी बंद करता है। दस्तों में सेब बिना छिलके वाला होनी चाहिये।
अफरा—अपच — ५० ग्राम सौंफ का चूर्ण १ ग्लास पानी में उबालकर ठंडा कर लें, यह घोल १—१ चम्मच दिन में तीन बार बच्चों को पिलाने से अफरा, अपच, मरोड़, पीले दस्त आदि ठीक होते हैं। बच्चों के पेट दर्द, सर्दी के दस्त आदि में हींग को पानी में घोलकर गुनगुना करके बच्चों के पेट पर लगा दें।
बिस्तर में पेशाब करना —जो बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हैं उन्हें काला जीरा, आंवला, मिश्री का चूर्ण दिन में तीन बार खिलाने से यह तकलीफ दूर हो जाती है। बच्चों के जन्म से १ साल तक पेशाब टट्टी के बाद गुदा की उचित सफाई न करने से या स्नान के बाद अच्छी तरह सूखा न करने से पसीना ज्यादा आने से गुदा में फुंसिया निकल आती हैं, उसका रंग लाल होता है अधिक बढ़ने से घाव होकर खून आने लगता है। तुलसी के पत्ते पीसकर उनका लेप करें। मक्खन में हल्दी मिलाकर लेप करें, हरी दूब पीसकर लगाएं। नारंगी का रस सूखाग्रस्त बच्चों को रोज पिलाने से बच्चा मोटा ताजा हो जाता है। उसका रस आंतों की गति को तेज करता है। दूध पीते बच्चे को रात में १ बादाम भिगोकर प्रात: पीसकर दूध में मिलाकर पिलायें।
माँ के स्तनों में दूध वृद्धि— डाल का पका पपीता लगातर १५—२० दिन तक खिलायें, स्तनों में दूध भर उठेगा।
बच्चों का दूध — दूध पिलाने के १५ मिनट पहले यदि माँ १ ग्लास पानी पी ले, फिर अपना दूध पिलाये तो शिशु को दूध शीघ्र पच जाता है तथा बच्चों को दस्त नहीं होते। नींबू के रस की कुछ बूंदें पानी में मिलाकर पिलायें, शिशु दूध नहीं उलटेगा। छोटे बच्चों को दस्त हो तो गर्म दूध में चुटकी भर पिसी हुई दालचीनी डालकर पिलायें। बच्चों को दूध से घृणा हो तो दूध की जगह दही, छाछ, लस्सी, दूध से बनी अन्य चीजें खीर आदि दें, कुछ सप्ताह बाद बच्चा स्वयं दूध पीने लगेगा। बच्चों का पेट फूलना, दस्त, खाँसी, सर्दी, जुकाम, उल्टी होने पर तुलसी के पत्तों का रस और चीनी व पानी मिलाकर शर्बत बना लें। इसका एक छोटा चम्मच पिलायें। ये सब रोग इससे ही ठीक हो जायेंगे।
पसली चलने पर — एरंडी का तेल पेट पर मलने से पसली चलना बंद हो जाता है।
बच्चों का सूखारोग —मूली की पत्ती पीसकर उसका रस निकालकर गरम कर १ चम्मच सुबह शाम १५ दिन पिलाने से सूखा रोग अच्छा होता है। आवश्यकता पड़ने पर ज्यादा दिया जा सकता है।
बिस्तर में पेशाब करना — एक ग्राम पिसा हुआ आँवला, एक ग्राम पिसा हुआ काला जीरा और दो ग्राम पिसी हुई मिश्री मिलाकर फंकी लें। ऊपर से ठंडा पानी पियें। बिस्तर में पेशाब करने का रोग दूर हो जाएगा। जो बच्चे बिस्तर में पेशाब करते हैं उन्हें दो अखरोट और २० किशमिश नित्य दो सप्ताह खिलाएं। लाभ होगा। छोटे बच्चों को नित्य छाछ पिलाने से दाँत निकलने में कष्ट नहीं होता और दाँत का रोग भी नहीं होता। बच्चे के दाँत निकलते समय यदि बच्चा रोता हो तो दो चम्मच मोटी सौंफ एक कप पानी में उबालकर छान लें। इसकी एक—एक चम्मच चार बार पिलाएं। सौंफ का पानी दूध में मिलाकर भी पिला सकते हैं। इससे दाँत सरलता से निकल आएंगे। १ तोला चिरौंजी १ पाव दूध में उबालें बच्चे को चिरौंजी चबाकर खिलाकर दूध पिला दें, दूध में मिश्री डालना ,चीनी नहीं। लगभग १ माह तक” बच्चा फिर कभी पेशाब बिस्तर में नहीं करेगा, चाय का परहेज रखें।
नाभि पकना — कभी—कभी नाभि से रक्त व मवाद आने लगता है। शिशुओं की नाल काटने पर नाभि पक जाती है। इस पर चिकनी सुपारी गर्म पानी में घिसकर सुबह—शाम दो बार नित्य लगावें। नाभि ठीक हो जाएगी।
शय्यामूत्र — शीतल चीनी और सफेद मूसली दोनों को २०—२० ग्राम पीस छान कर छोटे बच्चों को २—२ ग्राम पानी के साथ सुबह शाम और बढ़ती उम्र के बच्चों को ४—४ ग्राम, ४—५ सप्ताह में यह रोग ठीक हो जाता है।