-दोहा- सर्वास्रव से मुक्त हो, श्री सुपार्श्व जिनदेव। पुष्पांजलि से मैं जजूँ, करूँ सतत तुम सेव।।१।। अथ मंडलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्।