-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-हम लाए हैं तूफान से …….
दुनिया में जैनधर्म सदा से ही रहा है।
प्रभु ऋषभ महावीर ने भी यही कहा है।।टेक.।।
जब से है धरा आसमाँ सौन्दर्य प्रकृति का।
तक से ही प्राणियों में है विश्वास धर्म का।।
हर जीव के सुख का यही आधार रहा है।
प्रभु ऋषभ महावीर ने भी यही कहा है।।१।।
जो कर्म शत्रुओं को जीत ले जिनेन्द्र है।
जिनवर के उपासक ही असलियत में जैन हैं।।
यह धर्म जाति भेद से भी दूर रहा है।
प्रभु ऋषभ महावीर ने भी यही कहा है।।२।।
चांडाल सिंह सर्प भी धारण इसे करें।
मिश्री की भाँति मिष्ट फल को प्राप्त वे करें।।
यह सार्वभौम विश्व धर्मरूप रहा है।
प्रभु ऋषभ महावीर ने भी यही कहा है।।३।।
इस प्राकृतिक उद्यान को सींचा है सभी ने।
इससे ही अहिंसा धरम सीखा है सभी ने।।
यह आदि अंत से रहित अनादि कहा है।
प्रभु ऋषभ महावीर ने भी यही कहा है।।४।।
इसका कभी न अंत होगा सदा रहेगा।
कलियुग के कालचक्र का संकट भी सहेगा।।
यह धर्म ‘‘चंदनामती’’ जिन सूर्य कहा है।
प्रभु ऋषभ महावीर ने भी यही कहा है।।५।।