आदरणीया गणिनीप्रमुख र्आियका श्री ज्ञानमती माताजी, आदरणीया श्री चंदनामती माताजी, पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी, मंच पर उपस्थित मेरे सहयोगी पंकजाताई मुण्डे, राजभाऊ भुसे, हमारे मुख्य सचिव श्री स्वाधीन क्षत्रिय, सांसद सुभाष भामरे जी, विधायक राजेन्द्र पाटनी जी, विधायक दीपिकाताई चव्हाण नगराध्यक्ष भूषण कासलीवाल, मंच पर उपस्थित आदरणीय श्री जे.के. जैन जी, हमारे विभागीय आयुक्त श्री एकनाथ डवले जी, जिलाधीश श्री दीपेन्द्र कुशवाहा जी, मंचासीन सभी सम्माननीय अतिथिगण और यहाँ पर उपस्थित सभी बहनों-भाईयों!
आज सबसे पहले मैं भगवान ऋषभदेव जी के चरणों में नमन करता हूँ और उनसे आशीर्वाद प्राप्त हो, ऐसी प्रार्थना भी करता हूँ।
वैसे ही इसी चांदवड़ के गांव भामले में एक हमारे जवान शंकर चन्द्रभान सिंदे, जो जम्मूकश्मीर के कुपवाड़ जिले में दुश्मनों से मुकाबला करने के लिए वहाँ पर नियुक्त थे, और वे वहीं पर शहादत प्राप्त हुए, ऐसे इसी विभाग के उस शहीद को भी आज के इस मौके पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
मैं ऐसा मानता हूँ कि निश्चित ही मेरे हाथों से कोई पुण्य कर्म हुए होंगे, इसलिए आज मुझे यहाँ आने का मौका मिला है। भगवान ऋषभदेव की सबसे बड़ी मूर्ति, भामरे जी बता रहे थे कि गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में इसका नाम आयेगा। मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे भगवान ऋषभदेव हों या हमारे अन्य तीर्थंकर हों, उनका कार्य इतना बड़ा है, जो किसी भी बुक में समाहित नहीं हो सकता है। उनके कार्य के लिए हमें एक अपनी रिकार्ड बुक तैयार करनी पड़ेगी, न जाने कितने पन्ने उसमें लगें, जिसका कोई हिसाब नहीं लग सकता।
भगवान ऋषभदेव जी के शासन के बारे में पूज्य माताजी हमें यह बता रही थीं कि हम लोग जानते हैं कि एक विद्वान् पण्डित के रूप में, एक अच्छे शासक के रूप में जिन्हें कृषि का पंडित समझा जाता था, जिन्हें गणितज्ञ समझा जाता था, जिन्हें शास्त्र का ज्ञान था, जिन्हें धनवंतरी कहा जाता था, जिन्हें सब प्रकार के कला और साहित्य का ज्ञान था, ऐसे एक सम्पूर्ण अवतार के रूप में ऋषभदेव जी हुए हैं। एक ऐसा शासन जिस शासन में व्यक्ति हो, प्राणी, जीव हो, जन्तू हो सभी को उचित स्थान और उचित न्याय, सभी को विकास का उचित अवसर, इस प्रकार का कार्य भगवान ऋषभदेव जी ने किया और मैं तो ऐसा मानता हूँ कि जितने भी देश में शासक हैं, चाहे मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री हो, या छोटे से छोटे पंचायत का संरपच हों, सभी ने शासन के मामले में भगवान ऋषभदेव जी से शिक्षा और दीक्षा ली है। अपनी प्रजा और भक्तों का किस प्रकार से पालन होता है उसका अनुपम उदाहरण हमने उनके माध्यम से देखा है। जैन समाज तो इतना सक्षम है कि पूरे देश का कर्जा चुका सकता है। मैं तो निश्चित रूप से इस बात के लिए भी समाज को बधाई देना चाहता हूँं कि सम्पन्नता के सारे सूत्रों को चढ़ने के बावजूद भी जब व्यक्ति भौतिकता से जुड़ा हुआ होता है, अपने अंदर की शांति को भूल जाता है, अध्यात्म से रास्ता भटकता है, वह केवल भौतिक जगत में लीन हो जाता है। ऐसे समय में जैन समाज एक ऐसा समाज है, जिसमें सम्पन्नता तो प्राप्त की लेकिन भक्ति का राग कभी छोड़ा नहीं है, और नित्य नियम के अनुसार अपनी सम्पत्ति से इस ईश्वरीय कार्य को कुछ न कुछ योगदान मिले, इसकी योजना करने वाला यह समाज है।
मैं तो यह मानता हूँ कि जिस समाज में श्रद्धा होती है, उस समाज को कोई भी समाप्त नहीं कर सकता है। दुनिया की संस्कृति और सभ्यताएं समाप्त हुर्इं, लेकिन हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता जीवित रही क्योंकि हमारा समाज हमेशा श्रद्धावान रहा है। उसने श्रद्धा को जीवित रखा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चाहे जैन भाई हो या बुद्ध भाई हो या कोई भी हो, सभी ने हमें पर्यावरण के साथ, अहिंसा के साथ जीने का मार्ग दिखाया और उससे इस भूमण्डल की रचना को समझने वाला इस प्रकार का संस्कार हमें मिला, जिससे हमारी संस्कृति जीवित है। मैं ऐसा मानता हूँ कि जैन समाज की अलग-अलग प्रथाएं हैं, परम्परा हैं, उनकी वैज्ञानिकता को आज समझने की आवश्यकता है। हमारे धर्मों में, सारी संस्कृति में एक चीज का हमेशा पालन किया गया, जब-जब समय की कसौटी पर हमारी प्रथाएं, परम्पराएं हमको दिखाई पड़ी, हमने उसको अपनाया और वो आज कालजयी तथा शाश्वत हैं। इसीलिए हमारा धर्म केवल जीवित ही नहीं है, अपितु दुनिया को मार्गदर्शन कर रहा है। मैं तो ऐसा मानता हूँ कि यही सही रास्ता है।
आज के इस मौके पर मैं सरकार की ओर से आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ जो चीज यहाँ पर तैयार हुई है, जो मूर्ति यहाँ बाहर आई है, जो मूर्ति प्रगट हुई है, बिल्कुल सही बात कही माताजी ने कि मूर्ति तो पत्थर में थी ही, छिपी थी, आप लोगों को साक्षात्कार हुआ, माताजी को साक्षात्कार हुआ कि आज के युग में ऋषभदेव जी की आवश्यकता है उन्हें ज्यादा समय तक पत्थर में छिपा हुआ नहीं रख सकते। इसीलिए आपने उन्हें बाहर निकाल दिया। यह कहने के लिए आपके विचारों की और आपके आशीर्वाद की आवश्यकता है। इसलिए आप सभी लोग धन्य हैं।
सरकार की ओर से इस क्षेत्र के विकास हेतु जो-जो चीज आवश्यक है। ४० करोड़ का तो हमने एक अर्जेन्ट प्लान तैयार किया, लेकिन २७५ करोड़ रुपये का पूरा प्लान हमने तैयार किया है। मुझे विश्वास है कि आप सभी के सहयोग से हम उसको क्रियान्वित करेंगे। यह क्षेत्र इतना सुन्दर है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास में भी इस क्षेत्र का अपना एक बहुत बड़ा महत्व रहा है। पहली लड़ाई जिस प्रकार से यहाँ पर हुई थी, उसके बाद छत्रपति शिवाजी महाराज का लोहा ये दुनिया ने माना था। अलग-अलग प्रकार से इस सारे श्रद्धा के क्षेत्र में आज ऋषभदेव जी के आगमन से एक नई ऊर्जा प्रस्फुटित हुई और उस ऊर्जा को जन-सामान्य में पहुँचाने के लिए सारी व्यवस्थाएं हम निश्चित रूप से यहाँ खड़ी करेंगे।
पाटनी जी को और साथ में भामरे जी देखिए जनप्रतिनिधि कैसा होता है कि जहाँ माइक मिल जाता है अपनी जनता की कोई न कोई समस्या रख ही देता है। हमारे भामरे जी ने देखा है कि जनता भी है और मुख्यमंत्री भी है, तो अच्छा काम किया। जैन समाज के तीर्थक्षेत्र के विकास के साथ हमारे सामान्य जनता के विकास का भी उन्होंने यहाँ उल्लेख किया है। मैं उनको भी आश्वस्त करता हूँ कि जो चीजें आपने यहाँ रखी हैं, उन सभी चीजों को गौर करेंगे और हम साथ में मिलकर यह सारी समस्याएँ हैं, उनको दूर करने की कोशिश करेंगे। इस सारे काम में मैं पूर्ण रूप से आपके पीछे हूँ।
आज के इस मौके पर यह कार्यक्रम कर पाएं इसका कारण यह है कि मंत्रालय में हमारे मुख्य सचिव जी ने विशेष गति के साथ इसको मान्यता दी और हमारे पंकजाताई, जिनके पास ग्राम विकास विभाग है, उन्होंने जिस तेजी के साथ इस सारी चीजों को मान्यताएं दीं। सबसे महत्वपूर्ण बात हमारे जिलाधीश हैं-दीपेन्द्र कुशवाहा, उन्होंने जिस प्रकार से जमीन पर इसको कार्यान्वित किया है, वह प्रशंसनीय है। हमारे कलेक्टर, वह हमारे धार्मिक आयोजनों के स्पेशलिस्ट बन गये हैं। क्योंकि उन्होंने कुंभ का मेला भी बड़ी अच्छी तरह सम्पन्न किया है। और यह दूसरा कुंभ यहाँ शुरू हुआ है।
मुझे विश्वास है कि ६ वर्ष के बाद फिर एक बार जब लोग यहाँ एकत्रित होंगे, तो आज तो समय बढ़ाकर संख्या गिन पा रहे हैं, उस समय आप नहीं कर पायेंगे। उसकी तैयारी के लिए सारी व्यवस्थाएं राज्य सरकार पाटनी जी आपने जो कहा है उस संदर्भ में अपनी सरकार निश्चित ही यहाँ निर्मित करेंगी। ऋषभदेव जी से और उनकी ऊर्जा से हमें शक्ति प्राप्त होती रहे, उस शक्ति को सभी लोगों के विकास में इस्तेमाल करेंगे। इतना ही आज कहता हूँ, पूज्य माताजी को फिर एक बार यहाँ प्रणाम करता हॅूं और अपने शब्दों को विराम देता हूँ। जय हिन्द, जय भारत, जयजिनेन्द्र!
माननीय मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस जी एवं उनके साथ पधारीं ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा ताई मुंडे
द्वारा महोत्सव का दीप प्रज्ज्वलन।
इस अवसर पर उपस्थित पूर्व सांसद श्री जे.के. जैन-दिल्ली, कुलाधिपति श्री सुरेश जैन-मुरादाबाद,
धूलिया सांसद श्री सुभाष भामरे, वाशिम विधायक श्री राजेन्द्र जी पाटणी आदि।
मुख्यमंत्री जी के स्वागत में पूजा का मुकुट पहनाते समिति अध्यक्ष पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी एवं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी को गुलदस्ता भेंट करते समिति के स्वागताध्यक्ष श्री जे.के. जैन (पूर्व सांसद)-दिल्ली।
माननीय मुख्यमंत्री जी के सम्मान में विशाल माल्यार्पण के साथ मुख्यमंत्री जी को ‘‘धर्म राजेश्वर’’ की उपाधि से विभूषित करते समिति के पदाधिकारियों में अध्यक्ष पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी, स्वागताध्यक्ष श्री जे.के. जैन-दिल्ली, कार्याध्यक्ष श्री अनिल कुमार जैन-दिल्ली, कोषाध्यक्ष-श्री प्रमोद कासलीवाल-औरंगाबाद, विशेष सदस्य श्री सुमेर काला-नासिक, श्री संजय जैन दीवान-सूरत, मंत्री श्री भूषण कासलीवाल-चांदवड़, मंत्री श्री विजय जैन-जम्बूद्वीप, श्री जीवन प्रकाश जैन-जम्बूद्वीप व शुभचंद जैन-लखनऊ आदि।
मुख्यमंत्री जी को पूज्य स्वामी जी द्वारा मंगल रजत कलश भेंट
समिति की ओर से मुख्यमंत्री जी को गुलदस्ता भेंटकर सम्मानित करते मूर्ति निर्माण कमेटी के महामंत्री डॉ. पन्नालाल पापड़ीवाल, कोषाध्यक्ष-श्री प्रमोद कासलीवाल, मंत्री श्री संजय पापड़ीवाल, मंत्री श्री भूषण कासलीवाल आदि।
विशेष-इस अवसर पर चांदवड़ के नगर अध्यक्ष एवं महोत्सव समिति के मंत्री युवारत्न श्री भूषण कासलीवाल को मुख्यमंत्री जी ने गुलदस्ता भेंटकर सम्मानित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं कीं।
साथ में उपस्थित हैं भूषण जी की माँ श्रीमती अर्चना जयचंद कासलीवाल तथा उनकी ध.प. सौ. रिंकू कासलीवाल।
माननीय मुख्यमंत्री जी को गुलदस्ता भेंट करते मूर्ति निर्माण कमेटी के मंत्री इंजी. श्री सी.आर.पाटिल-पुणे एवं उनके सुपुत्र श्री सन्मति पाटिल-पुणे। साथ में उपस्थित विधायक श्री राजेन्द्र पाटणी आदि।
माननीय मुख्यमंत्री जी को ‘‘गणिनी ज्ञानमती गौरव ग्रंथ’’ भेंट करते मंत्री श्री जीवन प्रकाश जैन, अध्यात्म जैन एवं
श्री विजय जैन। साथ में उपस्थित श्री आदीश जैन-लखनऊ तथा श्री अनिल जैन-दिल्ली।
महोत्सव समिति के संरक्षक श्री सुमेर काला-नासिक, सौ. सुवर्णा काला-नासिक एवं श्री पारस लोहाड़े-नासिक द्वारा बनाये गये महोत्सव के विशेष ‘‘लोगो’’ का लोकार्पण करते माननीय मुख्यमंत्री जी।
माननीय मुख्यमंत्री जी के करकमलों से समिति द्वारा तैयार किये गये ‘‘सर्वोच्च दिगम्बर जैन प्रतिमा’’ ग्रंथ का लोकार्पण कराते संपादक डॉ. अनुपम जैन-इंदौर, श्री जे.के. जैन-दिल्ली एवं उपस्थित अन्य पदाधिकारीगण।
मुख्यमंत्री जी द्वारा पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का मंगल प्रवचन श्रवण एवं सभा में उपस्थित हजारों श्रद्धालु भक्तों को अलविदा।
मंत्री महोदया को गुलदस्ता भेंट कर अभिनंदित करतीं सौ. सुवर्णा काला-नासिक, सौ.रिंकू कासलीवाल-चांदवड़,
सौ. सुनीता कासलीवाल-औरंगाबाद, सौ. हेमा सेठी-औरंगाबाद, सौ. सोनल कासलीवाल-नासिक, स्थानीय विधायिका सौ. दीपिका चव्हाण, सौ. मालती जैन-दिल्ली, सौ. त्रिशला जैन-लखनऊ आदि।
महोत्सव में पधारे माननीय मुख्यमंत्री जी के मुख्य सचिव श्री स्वाधीन क्षत्रिय जी का सम्मान करते समिति के
विश्ोष सदस्य डॉ. सचिन पाटनी-मालेगांव, श्री अनिल जैन-दिल्ली, श्री संजय पापड़ीवाल-औरंगाबाद,
श्री भूषण कासलीवाल-चांदवड़ एवं श्री सुमेर काला-नासिक।
विशेष अतिथि महाराष्ट्र के सहकार राज्यमंत्री सम्माननीय श्री दादा भाऊ जी भुसे-मालेगांव का सम्मान करते प्रो. डी. ए. पाटिल-जयसिंहपुर, श्री अभय कासलीवाल-औरंगाबाद, श्री चन्द्रशेखर कासलीवाल-चांदवड़,
इंजी. श्री सी. आर.पाटिल-पुणे एवं श्री सुमेर काला-नासिक।
सम्माननीय श्री राजेन्द्र जी पाटणी (विधायक-वाशिम) को गुलदस्ता भेंट करके सम्मानित करते समिति के संरक्षक
श्री सुमेर काला-नासिक एवं कार्याध्यक्ष श्री अनिल जैन-दिल्ली।
विधायिका
सौ. दीपिका चव्हाण-सटाणा
का सम्मान करतीं
सौ. सुनीता जैन-हरिद्वार
एवं
उनके साथ संघस्थ ब्रह्मचारिणी बीना जैन-जम्बूद्वीप।