-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
तर्ज—बजे कुण्डलपुर में……
वीर भज ले तू महावीर भज ले,
काम सारे बन जायेंगे, वीर भज ले।। टेक.।।
क्यों भूला तू महावीर को-२
महावीर नैय्या तिरवायेंगे, वीर भज ले……।।१।।
क्यों भूला तू मंदिर को-२
जीने की कला बतलायेंगे, वीर भज ले……।।२।।
क्यों भूला तू मंदिर को-२
मंदिर ही तुझे तिरवायेंगे, वीर भज ले……।।३।।
क्यों भूला तू सच्चे देव को-२
वही तो देव बनवायेंगे, वीर भज ले……।।४।।
क्यों भूला तू शास्त्रों को-२
वे ही तो ज्ञान सिखलायेंगे, वीर भज ले……।।५।।
क्यों भूला तू गुरुओं को-२
वे ही तो पथ दर्शायेंगे, वीर भज ले……।।६।।
क्यों भूला तू मात-पिता को-२
वे ही तो तेरा हित चाहेंगे, वीर भज ले……।।७।।
क्यों भूला तू भाई-बहन को-२
वे ही तो प्रेम सिखलायेंगे, वीर भज ले……।।८।।
मत भूल तू धरम करम को-२
ये ही तो ज्ञान सिखलायेंगे, वीर भज ले……।।९।।
ले ले ‘‘चंदना’’ तू वीर का शरणा-२
ये ही तो मोक्ष दिलवायेंगे, वीर भज ले……।।१०।।