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अयोध्या
ऋषभगिरि-मांगीतुंगी भजन संग्रह
February 25, 2025
Books Final
Rahul
ऋषभगिरि-मांगीतुंगी भजन संग्रह
1. दुनिया में जैनधर्म सदा से ही रहा है
2. ऋषभदेव की मूर्ति प्यारी, ……
3. मांगीतुंगी तीरथ पुराना, …….
4. मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र पर,………
5. सबसे ऊँची प्रतिमा के गुण गाना है।
6. महामहोत्सव आया है……..
7. सबसे ऊँची प्रतिमा बनाया है,…
8. जिनवर जयकारा है,………..
9. सबसे बड़ी मूर्ति का, …….
10. पंचमकाल में पहला………..
11. ऋषभदेव गिरि तीर्थ से ……
12. सारे जग में तेरी धूम-बाबा हो बाबा,
13. सबसे ऊँची ऋषभदेव की, प्रतिमा जहाँ बनाया है
14. जिओ युग युग हे माँ ज्ञानमति!
15. गणिनी ज्ञानमती माता पर, अभिमान करो रे
16. ज्ञानमती माता आईं मांगीतुंगी तीर्थ में
17. भक्तों! सुनो इतिहास यह पहला, बन गया
18. ऊंचा सा पहाड़ है, सिद्धों का दरबार है,
19. ऋषभदेव मूर्ति का निर्माण हो गया
20. नम: ऋषभदेवाय, धर्मतीर्थ प्रवर्तिने
21. मेरा भाग्य सितारा चमका, मिला अवस
22. मांगीतुंगी में ऋषभगिरि, पर्वत महान है
23. विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा बनी है आलीशान,
24. कभी तू बाबा लगता है, कभी तू राजा लगता है,
25. आदिनाथ स्वामी का जनम कल्याण है
26. नीले गगन के तले, मेरे प्रभू हैं खड़े
27. दीक्षा लेकर बने महामुनि, मोक्षमार्ग बतलाने को
28. प्रभु ऋषभदेव का आहार हो रहा,
29. हे प्रभुवर! तेरी प्रतिमा ही तेरा अन्तर दर्शाती है
30. प्रभु ऋषभदेव के पुत्र भरत से, भारतदेश सनाथ
31. कलश हाथों में लेकर, करूँ अभिषेक प्रभू पर,
32. जिनवर का महामस्तकाभिषेक निराला है
33. आदिनाथ प्रभु का जनम हुआ आज है
34. ऋषभदेव प्रभु को है मेरा नमन
35. हे विश्वशांति के उपदेष्टा, श्री ऋषभदेव प्रभु
36. भगवान तुम्हारे दर्शन से, सम्यग्दर्शन मिल
37. ऋषभगिरि पर मस्तकाभिषेक,
38. चलो सब मिल यात्रा कर लो, तीर्थयात्रा का
39. नाम तिहारा तारनहारा कब तेरा दर्शन होगा
40. उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया
41. ये तो जिनवर का दरबार है,
42. ज्ञानमती माँ आईं, प्रभु जी के द्वार,
43. ज्ञानमती माताजी से पूछे जग सारा
44. तू कितनी निस्पृह है, तू कितनी निश्छल है,
45. रोम-रोम से निकले माता नाम तुम्हारा! हाँ नाम
46. इस युग की माँ शारदे, तू धर्म की प्राण है
47. ज्ञानमती माँ आईं प्रभु जी के द्वार
48. ज्ञानमती माताजी की वाणी सुन लो
49. माता तेरे चरणों में, हम वन्दन करते हैं
50. यह शान्त छवी तेरी, बड़ी सुन्दर लगती है
50. चल पड़े जिस तरफ दो कदम मात के,
52. प्रथम जिनेश्वर का प्रथम मस्तकाभिषेक,
53. मेरे देश की धरती ज्ञानमती माता से धन्य हुई है
54. जयति जय जय ज्ञानमति माँ!
55. वन्दामि, वन्दामि, करते हैं हम, चरण में तेरे,
56. ले करके ज्ञानदीप को जला दिया मशाल
57. तव चरणों में नमन हमारा, करो मात स्वीकार
58. ओ मदर! मुझे दे दो कुछ नॉलेज,
59. मात पद वंदन कर लो रे-२
60. माता हो माता रे ज्ञान तेरा सांचा, सांची तेरी
61. ज्ञानमती माता तेरा जग में बड़ा नाम है
62. जब से तेरा दर्श हुआ, मुझको बड़ा हर्ष हुआ,
63. मेरे मन खुशियाँ छाई हैं,
64. आओ रे आओ, खुशियाँ मनाओ, यह है मंगल
65. केशरिया झण्डा मेरा, जिनमत की पहचान है
66. जन जन के हितकारी हो प्रभु, युग के आदिविधाता
67. धरती का तुम्हें नमन है, आकाश का तुम्हें नमन है
68. आदीश्वर तेरी नगरी में धूम मची है
69. आदीश्वर झूले पलना, मरुदेवी लोरी गावें-२
70. लगा प्रभू दरबार, जय जयकार जय जयकार
71. सब अथिर जान संसार, तजा घर बार,
72. प्रभु जी सिद्धिकांता वरने चल दिये
73. प्रभु ऋषभदेव का आहार हो रहा,
74. बीते युगों में यहाँ पर समवसरण आया था….
75. आओ रे आओ खुशियाँ मनाओ, उत्सव सभी
76. समवसरण दर्शन करो, तो भव्य कहलाओगे
77. ऋषभदेव निर्वाण महोत्सव, मिलकर सभी मनाएँ
78. रंग छलके ज्ञान गगरिया से रंग छलके….
79. सबसे ऊँचे प्रभु ऋषभदेव का महामहोत्सव आया,
80. ॐकार बोलो, फिर आँखें खोलो, सब कार्य
81. सार्थक हो जीवन मेरा, पाया जो वरदान है
82. अिंहसा प्रधान मेरी इण्डिया महान है
83. प्रभु! मेरा मन कब पावन होगा, पाप रहित कब
84. उत्सव बहुत मनाया, जिनवर को भी रिझाया
85. तीर्थंकर माता ने देखे सोलह सपने
86. तीरथयात्रा का पुण्य विशाल है, इसकी दूजी
87. जन्म मानव का पाया है जो,
88. गंधोदक का माहात्म्य, सुनो मन शांत भाव से
89. जिनमंदिर का निर्माण, करो सब मिलके करो
90. दुनिया में भगवन्तों की मूर्तियाँ अनेक हैं
91. सबसे ऊँचे प्रभु ऋषभदेव का महामहोत्सव आया,
92. A holy message has come, from
93. Highest Jain Murti and Mangitungi Tirth
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