तर्ज-मन मंदिर में…….
सबसे ऊँची प्रतिमा बनाया है, मांगीतुंगी गिरी पर।
पर्वत के ऊपर, मांगीतुंगी गिरी पर।।ऊँची…..।।टेक.।।
है एक सौ आठ फुट ऊँची प्रतिमा,
दुनिया में इक मा त्र है इसकी गरिमा।
अतिशायि प्रतिमा बनाया है, मांगीतुंगी गिरी पर।।सबसे ऊँची.।।१।।
हम पुण्यशाली हैं आज भक्तों,
श्री ज्ञानमती मात के दर्श कर लो।
उनका ही चिंतन दिखाया है, मांगीतुंगी गिरी पर।।सबसे ऊँची.।।२।।
तन, मन व धन सार्थक किया सबने,
मंत्र जाप्य भी किया हम सबने।
दैवी चमत्कार पाया है, मांगीतुंगी गिरी पर।।सबसे ऊँची.।।३।।
करने, कराने वाले सुखी हों
तीरथ की ‘‘चन्दनामति’’ उन्नती हो।
सिद्धी का धाम बनाया है, मांगीतुंगी गिरी पर।।सबसे ऊँची.।।४।।