तर्ज-अब ना छुपाऊँगा……
जिनवर जयकारा है, जिनधर्म प्यारा है।
भारत क्या दुनिया भर में, गूंजे इक नारा है,
मांगीतुंगी में बनी आज सबसे ऊँची प्रतिमा।।टेक.।।
ऋषभदेव प्रभु प्रगटे हैं, कितने सुन्दर दिखते हैं।
इक सौ अठ फुट प्रतिमा में, वे सूरज सम लगते हैं।
जिनवर जयकारा है, जिनधर्म प्यारा है,
भारत क्या दुनिया भर में, गूंजे इक नारा है,
मांगीतुंगी में बनी आज सबसे ऊँची प्रतिमा।।१।।
जिनने इसमें लगाया धन, अपना भाग्य जगाया है।
ऋद्धि समृद्धि पा करके, तन को स्वस्थ बनाया है।
जिनवर जयकारा है………….।।२।।
गणिनी माता ज्ञानमती, इस युग की चैतन्य कृती।
उनकी ही प्रेरणा मिली, ज्योति ‘‘चन्दनामती’’ जली।।
जिनवर जयकारा है………….।।३।।
सबसे बड़ी माताजी ने, कार्य किया सबसे भारी।
ऋषभदेव की सबसे बड़ी, प्रतिमा दे दी है प्यारी।।
जिनवर जयकारा है………….।।४।।