तर्ज-सांची कहूँ………..
भक्तों! सुनो इतिहास यह पहला, बन गया धरा पे विशाल बाबा,
ऋषभदेव की एक सौ आठ फुट मूर्ति हो गया प्रथम निर्माण बाबा।।टेक.।।
वीतराग छवि जो निखर के है आई,
सबको यथाजात मुद्रा है भाई।
प्रतिमा निहारो, छवि मन उतारो, पहला है उत्सव विशाल बाबा।।१।।
मूर्ति का निर्माण विधिवत् हुआ है,
वसुनंदि ग्रंथ अनुसार हुआ है।
वह ग्रंथ पढ़ लो, प्रतिमा निरख लो, मूरत में ग्रंथ साकार बाबा।।२।।
मांगीतुंगी में अतिशय है छाया।
प्रतिमा को नवताल माप में बनाया।।
युग का कीर्तिमान है, जग का वरदान है, सबका भी हो कल्याण बाबा।।३।।
ज्ञानमती माता की प्रेरणा शक्ति है।
‘‘चन्दनामति’’ करूँ गुरु माँ की भक्ति मैं।।
इनके मंत्र जाप्य से, तप के प्रभाव से, पर्वत पे हुआ चमत्कार बाबा।।४।।