तर्ज-जिया बेकरार है……..
ऊंचा सा पहाड़ है, सिद्धों का दरबार है,
ऋषभगिरि मांगीतुंगी की महिमा अपरम्पार है।।टेक.।।
वैसे तो यह सिद्धक्षेत्र, प्राचीनकाल से पावन है-२
निन्यानवे कोटि मुनियों की, सिद्धभूमि मनभावन है-२।।
पर्वत बड़ा विशाल है, इसकी नहीं मिशाल है,
ऋषभगिरि मांगीतुंगी की महिमा अपरम्पार है।।१।।
मांगीतुंगी में गणिनी श्री ज्ञानमती के चरण पड़े-२।
इक सौ अठ फुट के जिनवर श्री ऋषभदेव जी प्रगट हुए-२।।
प्रतिमा बड़ी विशाल है, उसकी नहीं मिशाल है,
ऋषभगिरि मांगीतुंगी की महिमा अपरम्पार है।।२।।
गणिनी माता ज्ञानमती ने, जनमानस को जगाया है-२।।
इस युग में ‘चन्दनामती’ यह प्रथम महोत्सव आया है-२।।
चकित हुआ संसार है, उत्सव बड़ा विशाल है,
ऋषभगिरि मांगीतुंगी की महिमा अपरम्पार है।।३।।