तर्ज-देख तेरे संसार…………
विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा बनी है आलीशान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।टेक.।।
मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र में।
पर्वत के पाषाण खण्ड में।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माता की प्रेरणा महान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।१।।
ऋषभदेव प्रतिमा प्रगटी है।
गुरुमाता की तपशक्ती है।।
उनका गौरवमय ससंघ सानिध्य मिला है महान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।२।।
इक सौ अठ फुट की यह प्रतिमा।
जिनशासन की अद्भुत गरिमा।।
यह आश्चर्य प्रथम है जग में जैनधरम की शान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।३।।
यह है आयडॅल ऑफ अहिंसा।
भारत की पहचान अहिंसा।।
इसे ‘‘चन्दनामती’’ हृदय से कर लो सभी प्रणाम,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।४।।
श्री रवीन्द्रकीर्ति का समर्पण।
भक्तों का अर्थाञ्जलि अर्पण।।
अमर रहेगा युग युग तक सबका तन मन धन दान,
जय जय ऋषभदेव भगवान।।५।।