नीले गगन के तले, मेरे प्रभु हैं खड़ें।
मेरु गिरी सम अडिग तपस्वी, ऋषभ जिनेश खड़े।।
हे ऽऽऽनीले गगन के तले……
दर्शन से जिनके सारे जगत के जीवों के संकट टलें।
हे नीले गगन के तले………।।१।।
गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती जी के शुभ वचन फले।
हो ऽऽऽ नीले गगन के तले………….।।२।।
करना नहीं कुछ शेष प्रभू को लटकाके हाथ खड़े।
हो ऽऽऽ नीले गगन के तले………….।।३।।
चंदा सूरज तारे प्रभु के पद में नमन करें।
हो ऽऽऽ नीले गगन के तले………….।।४।।
मांगीतुंगी में सबसे ऊँचे प्रथम जिनेश खड़े।
हो ऽऽऽ नीले गगन के तले………….।।५।।
चलो ‘‘चंदनामती’’ ऋषभगिरि पर प्रभु चरण नमें।
हो ऽऽऽ नीले गगन के तले………….।।६।।