तर्ज—बाहुबली भगवान का मस्तकाभिषेक……
प्रथम जिनेश्वर का प्रथम मस्तकाभिषेक,
मस्तकाभिषेक महामस्तकाभिषेक।
पंचमकाल में प्रथम बार इतिहास बना है एक..मस्तकाभिषेक।।टेक.।।
प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की मूर्ति विशाल बनी।
यही अहिंसा की मूरत युग की पहचान बनी।।
ऋषभगिरि मांगीतुंगी में
इक अखण्ड पाषाण खण्ड में।
माँ से जन्मे बालक सम,
प्रगटे हैं प्रभुवर एक-मस्तकाभिषेक।।१।।
नेमिचंद्र आचार्य प्रवर सम ज्ञानमती माता।
जिनकी पुण्य प्रेरणा ने लिख दी स्वर्णिम गाथा।।
इसीलिए यह अवसर आाय,
ऋषभदेव का अतिशय छाया।
महाप्रभू के मस्तक पर,
कर लो सब महाभिषेक-मस्तकाभिषेक।।२।।
विश्व का एक आश्चर्य बनी यह ऋषभदेव प्रतिमा।
पूर्व दिशा के सूर्य देव सम है इसकी गरिमा।।
नीर क्षीर की धार बहा दो,
भावों से प्रभु को नहला दो।
यही ‘चंदनामति’ अभिलाषा आज करे बस एक-मस्तकाभिषेक।।३।।