तर्ज—काली तेरी चोटी है……
ज्ञानमती माता तेरा जग में बड़ा नाम है।
सारे नर-नारी तेरा गाते गुणगान हैं।।
त्याग की मिसाल तूने करी कायम,
क्वाँरी कन्या हो प्रथम।। टेक.।।
पिता छोटेलाल जी व मोहिनी थीं माता।
उनकी बगिया में पहला पुष्प जो खिला था।।
यही कहलाईं ‘मैना’ बालिका रतन,
क्वाँरी कन्या हो प्रथम।।१।।
युवावस्था में असिधारा व्रत पाला।
बीसवीं सदी में इतिहास रच डाला।।
आर्यिका ज्ञानमती नाम जैसा पाया।
ज्ञान के क्षेत्र में कमाल दिखलाया।।
गणिनी शिरोमणि को करें सब नमन,
क्वाँरी कन्या हो प्रथम।।२।।
तुम्हें ‘‘युगप्रवर्तिका’’ मात कहते हैं।
भक्त तेरी भक्ति में मगन रहते हैं।।
जम्बूद्वीप रचना सुनाती है कहानी।
तेरी कर्मठता की सच्ची है निशानी।।
तेरे चरणों में सारा जग झुकता है।
तेरी वाणी से मन झूम उठता है।।
‘चंदनामती’ का स्वीकारो माँ नमन,
क्वाँरी कन्या हो प्रथम।।३।।