जन जन के हितकारी हो प्रभु, युग के आदिविधाता।
ब्रह्मा विष्णु महेश्वर तुम ही, वृषभेश्वर जग त्राता।।
तुमने जन्म लिया जब,
कण-कण धन्य हुआ तब।
इन्द्र सिंहासन डोला
मेरु सुदर्शन पांडुशिला पर, सबने जय जय बोला।
जय हे जय हे जय हे, जय जय जय जय जय हे।।
युग के आदि विधाता।।१।।
नाभिराय मरुदेवी के नन्दन, हुए प्रथम अवतारी।
पञ्चकल्याणक के हो स्वामी, सब जन मंगलकारी।।
सब मिल जय प्रभु बोलो
जग के बन्धन खोलो
गूँज उठे जग सारा
मुक्तिमार्ग के तुम्हीं प्रणेता, शत-शत नमन हमारा।
जय हे जय हे जय हे, जय जय जय जय जय हे।।
युग के आदि विधाता।।२।।