आदीश्वर तेरी नगरी में धूम मची है।
मची है, धूम मची है-२।।आदीश्वर.।।टेक.।।
सुना है इन्द्र भी दर पे तिहारे आते थे,
तेरे गुण को वे सभी मिल के यहाँ गाते थे।
तूने जब जन्म लिया रत्नवृष्टि करते थे,
तेरा जन्माभिषेक मेरू गिरि पे करते थे।।
यादों में वही मानो तस्वीर बसी है।।आदीश्वर….।।१।।
इसी नगरी को अयोध्या जी सभी कहते हैं,
यहीं जिनवर के सदा जन्म हुआ करते हैं।
ऋषभ भगवान की यह जन्मभूमि कहलाई,
भरत सम्राट् की भी मातृभूमि कहलाई।।
दुनिया में इसी नगरी की धूम मची है।।आदीश्वर….।।२।।
ज्ञानमति माँ तेरे दर्शन को यहाँ आ गईं,
ज्ञान की ज्योति वे सबके हृदय जला गईं।
ब्राह्मी माँ के समान पितु की शरण आ गईं,
ऋषभ भगवान की छवि उनके हृदय भा गई।।
‘चन्दना’ तभी नगरी चहुँ ओर सजी है।।आदीश्वर….।।३।।