तर्ज—बार-बार तोहे क्या समझाऊँ……..
तव चरणों में नमन हमारा, करो मात स्वीकार।
ज्ञानमती माताजी, नैय्या लगा दो पार।। टेक.।।
सुनी है हमने देव-शास्त्र-गुरु की महिमा।
देखी तेरी वैसी ही गौरव गरिमा।।
बालयोगिनी बन कर तुमने, किया जगत उद्धार।
ज्ञानमती माताजी, नैय्या लगा दो पार।।१।।
गुरुओं में गुरु शांतिसागराचार्य हुए।
उनके पट्ट पर वीरसागराचार्य हुए।।
वीरसिंधु की शिष्या बनकर, किया नाम साकार।
ज्ञानमती माताजी, नैय्या लगा दो पार।।२।।
संघ आर्यिका बना विहार किया तुमने।
ज्ञान गंग की शाश्वत धार बहा तुमने।।
चन्दनबाला ब्राह्मी मां का, किया मार्ग स्वीकार।
ज्ञानमती माताजी, नैय्या लगा दो पार।।३।।
आए हम अज्ञान दूर करने माता।
देकर रत्नत्रय का दान करो साता।।
करे ‘‘चंदनामती’’ वंदना, करो मात स्वीकार।
ज्ञानमती माताजी, नैय्या लगा दो पार।।४।।