तर्ज-जहाँ डाल डाल पर………
सबसे ऊँचे प्रभु ऋषभदेव का महामहोत्सव आया,
जिनधर्म का ध्वज लहराया-२।।टेक.।।
जिनने इस धरती की जनता को, जीवन कला सिखाई।
नारी को सर्वप्रथम शिक्षा दे, ज्ञान की ज्योति जलाई।।
जिनके सुपुत्र सम्राट् भरत से भारत देश कहाया,
जिनधर्म का ध्वज लहराया।।१।।
श्री ऋषभगिरि मांगीतुंगी में, ऋषभदेव प्रभु प्रगटे।
इक सौ अठ फुट के इक अखण्ड, पाषाण में जिनवर दिखते।।
गणिनी माता श्री ज्ञानमती ने यह अतिशय दिखलाया,
जिनधर्म का ध्वज लहराया।।२।।
नभ की ऊँचाई को छूता, यह केशरिया ध्वज न्यारा।
जन जन का हो कल्याण बताता, ध्वज का स्वस्तिक प्यारा।।
‘‘चन्दनामती’’ इस ध्वज को सबने अपना शीश झुकाया,
जिनधर्म का ध्वज लहराया।।३।।