गन्ने को पेलकर उससे निकलने वाला पेयपदार्थ इक्षुरस है । इसे गन्ने का रस भी कहते हैं ।
युग की आदि में आज से करोड़ो वर्ष पूर्व प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने राज्ययावस्था में कर्मभूमि के प्रारम्भ में प्रजा को आजीविका पालन हेतु षट्कर्म की शिक्षा देते समय फल, अन्न, मेवा आदि के उपयोग की विधि बतलाई और तभी उन्होंने बताया था कि यह गन्ना इसे पेलकर इसका रस निकालकर तुम इसका सेवन करो ।
यह संयोग ही था कि दीक्षा के पश्चात् हस्तिनापुर के राजा सोमप्रथ व युवराज श्रेयांस के यहाँ एक वर्ष उनतालीस दिन के पश्चातृ जब उनका आहार हुआ तब उन्हें सर्वप्रथम इक्षुरस का आहार दिया गया । उस दिन वह इक्षुरस अक्षय हो गया । आज भी देखने में आता है कि हस्तिननापुर में व उसके आस पास गन्ने का खेती होती है और गन्ने की बहुतायत है ।