इस चतुर्थ काल में 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलभद्र, 9 नारायण और 9 प्रतिनारायण ऐसे त्रेसठ महापुरुष होते हैं। इनमें से भगवान ऋषभदेव प्रथम तीर्थंकर और महाराज भरत प्रथम चक्रवर्ती हुुए हैं।
24 तीर्थंकर-ऋषभ, अजित, संभव, अभिनंदन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपाश्र्व, चंदप्रभ, पुष्पदंत, शीतल, श्रेयांस, वासुपूज्य, विमल, अनंत, धर्म, शांति, कुन्थु, अरनाथ, मल्लि, मुुनिसुव्रत, नमि, नेमि, पाश्र्व, और वर्धमान।
12 चक्रवर्ती– भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार, शान्ति, कुन्थु, अर, सुभौम, पद्म, हरिषेण, जयसेन और ब्रह्मदत्त।
9 बलभद– विजय, अचल, सुधर्म, सुप्रभ सुदर्शन, नंदी, नंदिमित्र, रामचन्द्र और पद्म।
9 नारायण– त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयंभू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुण्डरीक, दत्त, लक्ष्मण, और श्रीकृष्ण।
9 प्रतिनारायण– अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधुकैटभ, निशुंभ, बलि, प्रहरण, रावण और जरासन्ध।
ये शलाका पुरुष चतुर्थकाल में ही होते हैं। ऐसे ही ये महापुरुष पूर्वकाल में भी अनंतों हो चुके हैं और भविष्य में भी होते ही रहेंगे।