अनादिकाल से सभी संसारी प्राणी चौरासी लाख योनियों में परिभ्रमण करते आ रहे हैंं। उन चौरासी लाख योनि के परिभ्रमण से छूटने के लिए यह ‘‘चौरासी लाख योनिपरिभ्रमण निवारण व्रत’’ है। इस व्रत के करने से व प्रतिदिन इन योनियों के परिभ्रमण से छूटने की भावना करते रहने से अवश्य ही हम और आप इन संसार परिभ्रमण के दु:खों से छुटकारा प्राप्त करेंगे।
इन चौरासी लाख योनियों का विवरण इस प्रकार है-१. नित्य निगोद, २. इतरनिगोद, ३. पृथ्वीकायिक, ४. जलकायिक, ५. अग्निकायिक व
६. वायुकायिक-इन एकेन्द्रिय जीवों के प्रत्येक की सात-सात लाख योनियां मानी गयी हैं। अत: ६²७·४२ लाख योनियाँ हुई हैं। पुन: वनस्पतिकायिक की दश लाख योनियाँ हैं। पुन: विकलत्रय अर्थात् दो इंन्द्रिय, तीन इन्द्रिय व चार इन्द्रिय जीवों की प्रत्येक की दो-दो लाख योनियाँ हैं। अत: ३²२·६ लाख भेद हुए। पुन: देव, नारकी व पंचेन्द्रिय तिर्यंचों की चार-चार लाख योनियाँ हैं। ये ३²४·१२ लाख हुए। पुन: मनुष्यों की चौदह लाख योनियाँ हैं। इस प्रकार (४२०००००±१००००००±६०००००±१२०००००±१४०००००· ८४०००००) ८४ लाख योनियों के भेद हैं।
व्रत विधि-अपनी शक्ति के अनुसार व्रत में उत्तम विधि उपवास करना है। मध्यम विधि में अल्पाहार, जल, रस, दूध, फल आदि लेकर करना चाहिए तथा जघन्य विधि में दिन में एक बार शुद्ध भोजन करके अर्थात् ‘एकाशन’ करके भी व्रत किया जा सकता है।व्रत के दिनों में अर्हंत भगवान की अथवा चौबीसी तीर्थंकरों की प्रतिमा का या किन्हीं एक भी तीर्थंकर भगवान की प्रतिमा का पंचामृत अभिषेक करें। पुन: चौबीस तीर्थंकर पूजा या अर्हंत पूजा या चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण पूजा करके जाप्य करें। मंत्र की माला में-१०८ मंत्र जाप्य में सुगंधित पुष्प या लवंग या पीले पुष्पों से अथवा जपमाला से भी मंत्र जप सकते हैं। व्रत के दिन पूजा व मंत्र जाप्य आवश्यक है।
इस व्रत के करने से क्रम-क्रम से संसार के भी उत्तम-उत्तम सुख प्राप्त होंगे पुन: चतुर्गति के दु:खों से छुटकारा प्राप्त कर नियम से २-४ आदि भवों में अपनी आत्मा को परमात्मा बनाकर सिद्धशिला को प्राप्त करना है।
लघु व्रत विधि
चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण लघु व्रत में १४ प्रकार से विभाजित चौदह मंत्र दिये गये हैं। इसमें १४ व्रत हैं। इन १४ व्रतों में १४ जाप्य करना है और प्रत्येक व्रतों में समुच्चय मंत्र की जाप्य अवश्य करना है।
-समुच्चय मंत्र-
ॐ ह्रीं चतुरशीतिलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
लघु व्रत में १४ व्रत करने में ये १४ मंत्र हैं-
१. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां सप्तलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां सप्तलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४. ॐ ह्रीं जलकायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
५. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
६. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां सप्तलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
७. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां दशलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
८. ॐ ह्रीं द्वीन्द्रियजीवानां द्विलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
९. ॐ ह्रीं त्रीन्द्रियजीवानां द्विलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१०. ॐ ह्रीं चतुरिन्द्रियजीवानां द्विलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
११. ॐ ह्रीं देवानां चतुर्लक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१२. ॐ ह्रीं नारकाणां चतुर्लक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१३. ॐ ह्रीं पञ्चेन्द्रियतिरश्चां चतुर्लक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१४. ॐ ह्रीं मनुष्याणां चतुर्दशलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
बृहत् व्रत विधि
चौरासी लाख योनि परिभ्रमण निवारण बृहत् व्रत में ८४ मंत्र हैं। नित्यनिगोद के सात लाख योनियों के ७ मंत्र हैं, इनके ७ व्रत करना, ऐसे ही इतर निगोद के ७ व्रत एवं पृथ्वी, जल, अग्नि और वायुकायिक के भी ७-७ व्रत करने से ४२ व्रत हो जाते हैं। वनस्पतिकायिक के १० व्रत करने से १० हुए। दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय व चार इन्द्रिय के २-२ व्रत करने से ६ व्रत होते हैं। पुन: देव, नारकी व पंचेन्द्रिय तिर्यंचों के ४-४ व्रत करने से १२ व्रत हुए एवं मनुष्यों की चौदह लाख के १-१ व्रत से १४ व्रत हुए। इस प्रकार ४२±१०±६±१२±१४·८४ व्रत हो जाते हैं।
इसमें ८४ व्रत हैं अत: ८४ जाप्य करना है, प्रत्येक व्रत में समुच्चय जाप्य अवश्य करना है।
-समुच्चय मंत्र-
ॐ ह्रीं चतुरशीतिलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
बृहत् व्रत में ८४ व्रत करने वालों के लिए ये ८४ मंत्र हैं-
(नित्यनिगोद जीवों के ७ लाख योनिपरिभ्रमण निवारण के ७ मंत्र)
१. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां चतुर्थलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
५. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशव्ाâाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
६. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
७. ॐ ह्रीं नित्यनिगोदजीवानां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
(इतर निगोद जीवों के ७ लाख योनिपरिभ्रमण निवारण व्रत के ७ मंत्र)
८. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
९. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१०. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
११. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां चतुर्थलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१२. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१३. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१४. ॐ ह्रीं इतरनिगोदजीवानां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
(पृथ्वीकायिक जीवों के ७ लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ७ मंत्र)
१५. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१६. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१७. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१८. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां चतुर्थलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
१९. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२०. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२१. ॐ ह्रीं पृथ्वीकायिकजीवानां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
(जलकायिक जीवों के सात लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ७ मंत्र)
२२. ॐ ह्रीं अप्कायिकजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२३. ॐ ह्रीं अप्कायिकजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२४. ॐ ह्रीं अप्कायिकजीवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२५. ॐ ह्रीं अप्कायिकजीवानां चतुर्थलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२६. ॐ ह्रीं अप्कायिकजीवानां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२७. ॐ ह्रीं अप्कायिकजीवानां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
२८. ॐ ह्रीं अप्कायिकजीवानां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
(अग्निकायिक जीवों के सात लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ७ मंत्र)
२९. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३०. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३१. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३२. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां चतुर्थलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३३. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३४. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३५. ॐ ह्रीं अग्निकायिकजीवानां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
(वायुकायिक जीवों के सात लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ७ मंत्र)
३६. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३७. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३८. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
३९. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां चतुर्थलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४०. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४१. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४२. ॐ ह्रीं वायुकायिकजीवानां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
(वनस्पतिकायिक जीवों के दस लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के १० मंत्र)
४३. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४४. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४५. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४६. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां चतुर्थलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४७. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४८. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
४९. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
५०. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां अष्टमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
५१. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां नवमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअर्हत्परमेष्ठिने नम:।
५२. ॐ ह्रीं वनस्पतिकायिकजीवानां दशमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
(विकलत्रय जीवों के छह लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ६ मंत्र)
५३. ॐ ह्रीं द्वीन्द्रियजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
५४. ॐ ह्रीं द्वीन्द्रियजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
५५. ॐ ह्रीं त्रीन्द्रियजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
५६. ॐ ह्रीं त्रीन्द्रियजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
५७. ॐ ह्रीं चतुरिन्द्रियजीवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
५८. ॐ ह्रीं चतुरिन्द्रियजीवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
(देवों के ४ लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ४ मंत्र)
५९. ॐ ह्रीं देवानां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६०. ॐ ह्रीं देवानां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६१. ॐ ह्रीं देवानां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६२. ॐ ह्रीं देवानां चतुथ&लक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
(नारकियों के ४ लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ४ मंत्र)
६३. ॐ ह्रीं नारकाणां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६४. ॐ ह्रीं नारकाणां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६५. ॐ ह्रीं नारकाणां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६६. ॐ ह्रीं नारकाणां चतुथ&लक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
(पंचेन्द्रिय तियं&चों के ४ लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के ४ मंत्र)
६७. ॐ ह्रीं पंचेन्द्रियतिरश्चां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६८. ॐ ह्रीं पंचेन्द्रियतिरश्चां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
६९. ॐ ह्रीं पंचेन्द्रियतिरश्चां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७०. ॐ ह्रीं पंचेन्द्रियतिरश्चां चतुथ&लक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
(मनुष्यों के १४ लाख योनि परिभ्रमण निवारण व्रत के १४ मंत्र)
७१. ॐ ह्रीं मनुष्याणां प्रथमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७२. ॐ ह्रीं मनुष्याणां द्वितीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७३. ॐ ह्रीं मनुष्याणां तृतीयलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७४. ॐ ह्रीं मनुष्याणां चतुथ&लक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७५. ॐ ह्रीं मनुष्याणां पंचमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७६. ॐ ह्रीं मनुष्याणां षष्ठलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७७. ॐ ह्रीं मनुष्याणां सप्तमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७८. ॐ ह्रीं मनुष्याणां अष्टमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
७९. ॐ ह्रीं मनुष्याणां नवमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
८०. ॐ ह्रीं मनुष्याणां दशमलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
८१. ॐ ह्रीं मनुष्याणां एकादशलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
८२. ॐ ह्रीं मनुष्याणां द्वादशलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
८३. ॐ ह्रीं मनुष्याणां त्रयोदशलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।
८४. ॐ ह्रीं मनुष्याणां चतुद&शलक्षयोनिपरिभ्रमणविनाशकाय श्रीअह&त्परमेष्ठिने नम:।