सप्तम पट्टाचार्य प्रवर की, करें आरती आज।
अनेकान्तसागर गुरुवर हैं, युवा सन्त मुनिराज।।
गुरुवर हम सब उतारें मिलके आरती-२।।टेक.।।
सदी बीसवीं के श्री प्रथमाचार्य शान्तिसागर थे।
पुन: वीर-शिव-धर्म-अजित एवं श्रेयांससागर थे।।
षष्ठम पट्टाचार्य बने श्री अभिनन्दन मुनिराज,
गुरुवर हम सब उतारें मिलके आरती-२।।१।।
एम.पी. गोटे गांव निवासी, दीपक जी ब्रह्मचारी।
अभिनन्दन गुरु से दीक्षा ले, बने मुनीश्वर त्यागी।।
नाम मिला तब अनेकान्त-सागर जी मुनि महाराज,
गुरुवर हम सब उतारें मिलके आरती-२।।२।।
संघ चतुर्विध का संचालन, करो खूब वृद्धी हो।
यही ‘‘चन्दनामति’’ अभिलाषा, संघ की अभिवृद्धी हो।।
वत्सलता की सुख सरिता में, उमड़े सर्व समाज,
गुरुवर हम सब उतारें मिलके आरती-२।।३।।