-आर्यिका चन्दनामती
तर्ज-कांची हो कांची रे……….
आओ रे आओ रे, सब मिलके आओ,
गुरु पद में शीश नमाओ रे…हो……….
गाओ रे गाओ रे, सब मिलके के गाओ,
गुरुभक्ति के गीत गाओ रे….हो…..।।टेक.।।
देखो वैâसा पुण्य का संयोग आया,
जिनवर व गुरुवर का दर्शन है पाया।
मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र, ऋषभदेव कीर्तिकेन्द्र,
यशकीर्ति उनकी ही गाओ रे…..हो….।।१।।
तीन रत्न जग में देव शास्त्र गुरु,
मिलता है इनसे रत्नत्रय सभी को।
मोक्षमार्ग प्राप्त करो, भव भ्रमण समाप्त करो,
गुरुओं की जय जय बोल के..हो…….।।२।।
सच्चे गुरु चेतन तीर्थ कहे जाते,
‘‘चन्दनामती’’ वे हमें तीर्थ बनाते।
गुरु का सत्संग करो, गुरुओं के संग रहो,
भक्ती का रस मन में घोलके..हो…….।।३।।