-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज—है प्रीत जहाँ की रीत सदा……
प्रभु ऋषभदेव के पुत्र भरत से, भारतदेश सनाथ हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।। टेक.।।
यहाँ तीर्थंकर प्रभु लार्ड गॉड, साधूजन सेन्ट कहाते हैं। हो……
यहाँ गुलदस्ते की भांति कई, जाती व पंथ आ जाते हैं।। हो……
चैतन्य तत्त्व की प्राप्ती का-२, संचालित यहाँ से पाठ हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।।१।।
भारत को भारत रहने दो, इण्डिया न यह बनने पाए। हो……
इसकी आध्यात्मिक संस्कृति का, अपमान नहीं होने पाए।। हो……
यहाँ ऋषभ, राम, महावीर, बुद्ध-२, का अमर सदा सिद्धान्त हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।।२।।
यहाँ की सीता सम नारी पर, छाया न किसी की पड़ पाए। हो……
यहाँ जन्मीं ब्राह्मी माता सम, माँ ज्ञानमती के गुण गायें।। हो……
‘‘चन्दनामती’’ भारत की संस्कृति-२, का तब ही उत्थान हुआ।
यह आर्यावर्त इण्डिया हिन्दुस्तान नाम से सार्थ हुआ।।३।।
-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज—काली तेरी चोटी……
अिंहसा प्रधान मेरी इण्डिया महान है।
इण्डिया में जन्मे महावीर और राम हैं।
यहाँ की पवित्र माटी बनीं चन्दन, उसे करो सब नमन।। टेक.।।
जहाँ कभी बहती थीं दूध की नदियाँ।
वहाँ अब करुणा की माँग करे दुनिया।।
अत्याचार पशुओं पे होगा कब खतम, उसे करो सब नमन।।१।।
प्रभु महावीर का अमर संदेश है।
लिव एण्ड लेट लिव का दिया उपदेश है।।
मानवों की मानवता की यही पहचान है।
जाने जो पराए को भी निज के समान है।।
तभी अिंहसा का होगा सच्चा पालन, उसे करो सब नमन।।२।।
अिंहसा के द्वारा ही इण्डिया प्रâी हुई।
ब्रिटिश गवर्नमेंट की जब इति श्री हुई।।
चाहे हों पुराण या कुरान सभी कहते।
अिंहसा के पावन सूत्र सब में हैं रहते।।
यही मेरे देश की कहानी है पुरानी।
अिंहसक देशप्रेमियों की ये निशानी।।
‘चंदनामती’ यह देश ऋषियों का चमन, उसे करो सब नमन।।३।।
-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज-माई रे माई………..
ऋषभगिरि मांगीतुंगी से, इक आवाज है आई।
विश्वशांति के हेतु ज्ञानमती-माँ की प्रेरणा पाई।।
जय हो ऋषभदेव की जय, जय हो विश्व धर्म की जय।।
दुनिया के सब देश चाहते, आपस में मैत्री हो।
फिर भी क्यों आतंंक बढ़ा है, यह विचार गोष्ठी हो।।
धर्म अहिंसा ने ही देश को, आजादी दिलवाई।
विश्वशांति के हेतु ज्ञानमति-माँ की प्रेरणा पाई।।
जय हो ऋषभदेव की जय, जय हो विश्वधर्म की जय।।१।।
फूलों के गुलदस्ते सम है, भारत देश हमारा।
कई जाति पंथों का दिखता, यहाँ समन्वय प्यारा।।
इसी समन्वय की बगिया, हम सबने मिल महकाई।
विश्वशांति के हेतु ज्ञानमति-माँ की प्रेरणा पाई।।
जय हो ऋषभदेव की जय, जय हो विश्वधर्म की जय।।२।।
विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है, ऋषभदेव जिनवर की।
अनेकांत अपरिग्रह वाणी, बिन बोले यह कहती।।
इनने ही ‘‘चन्दनामती’’, जीने की कला सिखाई।
विश्वशांति के हेतु ज्ञानमति-माँ की प्रेरणा पाई।।
जय हो ऋषभदेव की जय, जय हो विश्वधर्म की जय।।३।।
-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज-मांगीतुंगी तीर्थ से आमंत्रण आया है…….
शांति अहिंसा विश्वप्रेम की ज्योति जलाना है,
मैत्री भाव बढ़ेगा दुनिया में।।टेक.।।
प्रेम बढ़ेगा जग में, मैत्री भाव बढ़ेगा दुनिया में-२
शांति अहिंसा विश्वप्रेम की ज्योति जलाना है,
मैत्री भाव बढ़ेगा दुनिया में।।टेक.।।
दुनिया के सब देशों में, यह भारत देश विलक्षण है।
कई जाति पंथों का केवल इसी देश में संगम है।।
यहाँ से सबको लोकतंत्र का पाठ सिखाना है।
मैत्री भाव बढ़ेगा दुनिया में।।शांति….।।१।।
यहाँ के साधु-साध्वी देश का गौरव सदा बढ़ाते हैं।
विश्वशांतिकारक मंत्रों का अनुष्ठान करवाते हैं।।
इनकी शक्ति से सबको परिचित करवाना है।
मैत्री भाव बढ़ेगा दुनिया में।।शांति….।।२।।
धर्मगुरु के संग राजनेता भी जब जुड़ जाते हैं।
जनहित में ‘‘चन्दनामती’’ तब सूत्र नये कुछ आते हैं।।
सोने की चिड़िया भारत का नाम गुंजाना है।
मैत्री भाव बढ़ेगा दुनिया में।।शांति….।।३।।
-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज-आम्बे मोहर तांदुल………….
विश्व में शांति हो, अहिंसा की क्रान्ति हो।
यही प्रार्थना है प्रभु जग से हिंसा की समाप्ति हो।।
Arू दf थ्ग्न्ग्हु का, जीवन जीने की कला।
ऋषभदेव ने सिखलाई, युग की आदि में बतलाई।।
असि मसि कृषि की क्रान्ति हो, मानव मन में शांति हो।
यही प्रार्थना है प्रभु जग से िंहसा की समाप्ति हो।।
हिंसा से हिंसा बढ़ती, शांति न इससे हो सकती।
सब देशों में मीटिंग हो, कर्त्तव्यों पर थिंकिंग हो।।
धर्म अहिंसा की जय हो, हर मानव मन निर्भय हो।
यही प्रार्थना है प्रभु……
विश्व शांति अहिंसा, सम्मेलन का दीप जला मिला।
राष्ट्रपति कोविन्द जी को, गुरु माँ का आशीष मिला।।
गणिनी ज्ञानमती की जय, मिले ‘‘चन्दनामती’’ विजय।
यही प्रार्थना है प्रभु जग से, हिंसा की समाप्ति हो।।
-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज-कान्ची हो………
आया है आया रे अवसर ये आया,
विश्वशांति का स्वर उठाना है।
पाया है पाया रे अवसर ये पाया,
अहिंसा का दीप जलाना है।।टेक.।।
अहिंसा से विश्व में शांति होगी,
प्रेम व मैत्री से नई क्रांति भी होगी।
हिंसा समाप्त हो, जग में नव प्रभात हो,
आपस में एकता दिखाना है।।हो…..।।
आया है…।।१।।
वसुधैव कुटुम्बकम् का पाठ पढ़ना,
अपने ही समान सबका सुख-दुख समझना।
भारत की भूमि से, विश्वभर में प्रेम से,
अहिंसा का बिगुल बजाना है।।हो…..।।
आया है…।।२।।
ऋषभदेवपुरम् मांगीतुंगी जी से।
ज्योति जलाई है राष्ट्रपति कोविन्द जी ने।।
गणिनी माता ज्ञानमती, प्रेरणा मिली है उनकी,
‘‘चन्दनामती’’ यह बताना है।। हो…..।।
आया है…।।३।।
-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चंदनामती माताजी
तर्ज-दीवाना गुरुवर का…….
विश्व में शांति हो-२
यही प्रार्थना प्रभु से, विश्व में शांति हो……।
देश-राष्ट्र-पुर सभी जगह सुख क्षेम की नव क्रान्ती हो,
विश्व में शांति हो…………।।टेक.।।
हर प्राणी के सुख दुख में, सहभागी सदा बनें हम।
सबकी ही भावना का आदर, करें यदि अपने सम।।
घर घर में मैत्री के वातावरण से सुख प्राप्ती हो….।।
विश्व में..।।१।।
हिंसा और आतंक के बादल, कभी नहीं मंडराएं।
हर मानव मानवता का, शुभ मंत्र सभी को सुनाए।।
ॐ नम: ऋषभाय विश्वशान्तिम् कुरु कुरु वाणी हो…..।।
विश्व में..।।२।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमति माताजी भारत गौरव हैं।
इनकी ही प्रेरणा से प्रगटे, ऋषभदेव प्रभुवर हैं।।
उन प्रभु की भक्ती से ‘‘चन्दनामती’’ सौख्य प्राप्ती हो…।।
विश्व में…।।३।।