प्रभु: ऋषभदेवस्त्वं, जगत्सृष्टा जगद्गुरू:।
ऋषभदेवमानौमि, सर्वसिद्धिप्रदायकम्।।१।।
हत: ऋषभदेवेन, स्वकर्मनिचय: स्वयं।
नम: ऋषभदेवाय, धर्मतीर्थप्रवर्तिने।।२।।
तीर्थं ऋषभदेवाद् हि, स्वर्गमोक्षविधायकं।
धर्म: ऋषभदेवस्य, साधुगृहि-द्विभेदत:।।३।।
भक्तिं ऋषभदेवेऽहं, करोमि सर्वसौख्यदाम्।
ऋषभदेव! मां रक्ष, निमज्जंतं भवाम्बुधौ।।४।।
ऋषभो युगब्रह्मा त्वं, ऋषभमाश्रयाम्यहम्।
ऋषभेण हतो मृत्यु:, ऋषभाय नमो नम:।।१।।
ऋषभाज्जीवनोपाय:, ऋषभस्य वृषो दया।
ऋषभे स्यात् स्थिरा भक्ति:, पाहि मां ऋषभ! प्रभो!।।२।।
ऋषभोऽयं महादेव:, ऋषभमाश्रयाम्यहम्।
ऋषभेण कृता सृष्टि:, ऋषभाय नमो नम:।।१।।
ऋषभात् सार्वतीर्थोऽभूत् ऋषभस्य वृषो दया।
ऋषभे कुरू सद्भक्तिं, ऋषभ! त्वं पुनीहि माम्।।२।।