पूज्य माताजी के निर्णयानुसार पूज्य माताजी का राजधानी दिल्ली से नवम्बर २००० में प्रयाग की ओर विहार हो गया और प्रयाग में ‘‘तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली प्रयाग’’ इस नाम से तीर्थ की स्थापना, फरवरी में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महाकुंभमहामस्तकाभिषेक तथा महाकुंभ स्थल पर १००८ निर्वाणलाडू चढ़ाने के कार्यक्रम प्रभावना के साथ पूज्य माताजी के ससंघ सान्निध्य में सम्पन्न हुए। इस तीर्थ पर मुझे पूज्य माताजी की प्रेरणा से कीर्तिस्तंभ बनवाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
इसके बाद अप्रैल में प्रयाग से विहार करके पूज्य माताजी का ससंघ दिल्ली पुन: पदार्पण होता है और वर्ष २००१ का चातुर्मास माताजी का दिल्ली में सम्पन्न होता है। इस चातुर्मास के मध्य फिरोजशाह कोटला मैदान में पूज्य माताजी के सान्निध्य में विश्वशांति महावीर विधान प्रभावना के साथ सम्पन्न करके छब्बीसौवें महावीर जन्मजयंती वर्ष में एक प्रभावना की कड़ी जुड़ गई।
चातुर्मास सम्पन्न होने के बाद भगवान महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर के जीर्णोद्धार एवं विकास हेतु पूज्य माताजी का दिल्ली से १५ फरवरी २००२ को कुण्डलपुर की ओर मंगल विहार हो गया तथा प्रयाग तक पूज्य माताजी चातुर्मास के पूर्व पहुँच सकीं। अत: तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली प्रयाग में सन् २००२ का वर्षायोग माताजी का ससंघ सम्पन हुआ, उसके बाद वर्षायोग सम्पन्न करके नवम्बर २००२ में प्रयाग से कुण्डलपुर की ओर वाराणसी, आरा, पटना होते हुए पूज्य माताजी का २९ दिसम्बर २००२ को कुण्डलपुर में मंगल पदार्पण होता है।
प्रयाग वर्षायोग के मध्य ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन भाई जी (वर्तमान में पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी) मैं (अनिल कुमार जैन) कुण्डलपुर में जमीन देखने-खरीदने के लिए कई बार गयें और जमीन का सौदा तय होने पर रजिस्ट्री कराने में भी बराबर जाने का और हर प्रकार से कुण्डलपुर विकास हेतु सहयोग करने का हमें अवसर प्राप्त हुआ। पूज्य माताजी ने कुण्डलपुर की कमेटी में मुझे महामंत्री एवं पटना के श्री अजय कुमार जैन को महामंत्री ऐसे २ महामंत्री बनाये। २९ दिसम्बर २००२ को पहुँचते ही कुण्डलपुर में क्रय की हुई भूमि में भगवान महावीर मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया गया और मंदिर का कार्य तेजी से करके ऊपर प्लेटफार्म बनाकर भगवान महावीर की प्रतिमा विराजमान की गई और ७ से १२ फरवरी २००३ में पूर्व घोषित कार्यक्रमानुसार पंचकल्याणक प्रतिष्ठा पूज्य माताजी के सान्निध्य में सम्पन्न हुई, यह ऐसा चमत्कारिक कार्य हुआ है, जिसका वर्णन करना संभव नहीं है, मात्र २२ माह में भगवान महावीर मंदिर, नवग्रहमंदिर, ऋषभदेव मंदिर, त्रिकाल चौबीसी ३ मंजिला मंदिर, नंद्यावर्त महल एवं यात्री निवास के ३५ फ्लैट, भोजनालय, ऑफिस, बाउण्ड्रीवाल यह निर्माण हुए एवं पूज्य माताजी ने कच्चे टीन के कमरों में प्रवास करके २ चातुर्मास भी कुण्डलपुर में सम्पन्न किये। इन सब कार्यों में मुझे सहयोग देने का भरपूर सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके बाद मांगीतुंगी प्रतिमा निर्माण हेतु एवं जो-जो कार्य पूज्य माताजी की आज्ञा से पीठाधीश रवीन्द्रकीर्ति जी स्वामीजी ने हाथ में लिए हैं उन सभी में कंधा से कंधा मिलाकर साथ जाने का एवं तन-मन-धन से सहयोग करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
मैं पूज्य माताजी के प्रति शतश: नमन करता हूँ कि पूज्य माताजी के आशीर्वाद से मेरा मनुष्य जन्म सफल हो गया है। मैं और मेरा सम्पूर्ण परिवार पूज्य माताजी के इस उपकार को कभी भूल नहीं सकेगा। अभी मुझे एवं मेरी बेटी श्रीमती अनामिका को इस संघ के संघपति अर्थात् संघ की सेवा करने का भी सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। इन सभी पुण्यवर्धन क्रियाओं में पूज्य माताजी का आशीर्वाद हमेशा हमारे ऊपर, हमारे परिवार पर बना रहे, यही हमारी मंगल कामना है।
जुलाई २०२०
-धर्मपुत्र अनिल कुमार जैन
कमल मंदिर, प्रीतविहार, दिल्ली