रचयित्री-आर्यिका चंदनामती
तर्ज—देख तेरे संसार की हालत……..
ऋषभदेव के पुत्र भरत का भारत देश महान,
जय जय भरत सिद्ध भगवान।।टेक.।।
यशस्वती माता के नन्दन।
आदिनाथ सुत भरत को वन्दन।।
प्रथम चक्रवर्ती भरतेश्वर का था त्याग महान,
जय जय भरत सिद्ध भगवान।।१।।
छह खंडों की वसुधा जीती।
आत्मदृष्टि फिर भी थी भरत की।।
तभी उन्हें अन्तर्मुहूर्त में हो गया केवलज्ञान,
जय जय भरत सिद्ध भगवान।।२।।
जगह जगह प्रतिमा पधराओ।
भरत का भारत है ये बताओ।।
देश जाति भाषा के नाम पर लड़ें नहीं इन्सान,
जय जय भरत सिद्ध भगवान।।३।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमति माता।
युग की अभिनव ब्राह्मी माता।।
उनकी ही प्रेरणा चन्दनामती बनी वरदान,
जय जय भरत सिद्ध भगवान।।४।।