-जम्बूद्वीप में कमलों की संख्या-
जम्बूद्वीप में हिमवान, महाहिमवान, निषध, नील, रुक्मी और शिखरी ऐसे छह कुलाचल पर्वत हैं। इनके ऊपर पद्म, महापद्म, तिगिंछ, केसरी, महापुण्डरीक और पुण्डरीक नाम के छह सरोवर हैं। उन सरोवरों में क्रम से श्री, ह्री, धृति, कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी नाम की देवियाँ अपने परिवार सहित रहती हैं।
ये श्री आदि देवियाँ जम्बूद्वीप के भरत, ऐरावत व विदेह क्षेत्र के तीर्थंकरों की माता की सेवा के लिए आती हैं।
उन सरोवरों में इन देवियों के जितने परिवार कमल हैं, उन सबमें जिनमंदिर हैं और सभी जिनमंदिरों में जिनप्रतिमाएँ विराजमान हैं।
इसी प्रकार ‘त्रिलोकसार’ ग्रंथ के अनुसार जम्बूद्वीप में सीता-सीतोदा नदी के पूर्व, पश्चिम व दक्षिण तथा उत्तर में पाँच-पाँच सरोवर ऐसे २० सरोवर हैं। उनमें भी नागकुमारी देवियों के कमल हैं। उनके परिवार कमल भी श्री देवी के परिवार कमल प्रमाण हैं। उन सभी २६ सरोवरों के कमलों में जिनमंदिर हैं, उन सभी में जिनप्रतिमाएँ विराजमान हैं।
जम्बूद्वीप के समान पूर्व धातकीखण्ड में श्री आदि देवियों के छह सरोवर व सीता-सीतोदा नदी के बीस सरोवर तथा पश्चिम धातकीखण्ड के भी छह और बीस सरोवर, ऐसे ही पूर्व पुष्करार्ध व पश्चिम पुष्करार्ध के छब्बीस-छब्बीस सरोवर सभी मिलकर २६²५·१३० सरोवर हो जाते हैं।
धातकीखण्ड द्वीप में कमलों की संख्या
तिलोयपण्णत्ति, त्रिलोकसार व लोकविभाग आदि ग्रंथों में धातकीखण्ड द्वीप के हिमवान आदि पर्वतों का विस्तार आदि दूना-दूना कहने से स्पष्ट हो जाता है कि वहाँ पर सरोवरों के विस्तार भी दूने-दूने हैं तथा श्री, ह्री आदि देवियों के परिवार कमल भी दूने-दूने हैं।
ऐसे ही सीता-सीतोदा के परिवार कमलों की संख्या भी दूनी-दूनी हैं।
-पुष्करार्ध द्वीप में कमलों की संख्या-
ऐसे ही पुष्करार्ध द्वीप में भी हिमवान पर्वत व पद्म सरोवर आदि का विस्तार भी दूना-दूना कहा गया है अत: श्री देवी आदि के परिवारकमलों की संख्या तथा सीता-सीतोदा नदियों के परिवार कमलों की संख्या भी धातकीखण्ड की अपेक्षा दूनी-दूनी है, ऐसा समझना चाहिए।
पूर्वधातकी व पश्चिमधातकी खण्डद्वीप में भरत-ऐरावत व विदेह क्षेत्रों के तीर्थंकर की माता की सेवा के लिए वहीं-वहीं की श्री आदि देवियाँ आती हैं, ऐसे ही पूर्व व पश्चिम पुष्करार्ध द्वीप के तीर्थंकरों की माता की सेवा के लिए वहीं-वहीं की देवियाँ आती हैं।
इन सबके कमलों की संख्या छह करोड़, उन्नीस लाख, इकतीस हजार दो सौ बहत्तर-६,१९,३१,२७२ हो जाती हैं। इन कमलों में अकृत्रिम जिनमंदिर हैं एवं सभी मंदिरों में रत्नमयी जिनप्रतिमाएँ विराजमान हैं।
-जितने कमल हैं, उतने ही जिनमंदिर हैं-
कमलकुसुमेसु तेसुं पासादा जेत्तिया समुद्दिट्ठा ।
तेत्तियमेत्ता होंति हु जिणगेहा विविहरयणमया।।१६९२।।
उन कमल पुष्पों पर जितने भवन कहे गए हैं, उतने ही वहां विविध प्रकार के रत्नों से निर्मित जिनगृह भी हैं।।१६९२।।
-सीता-सीतोदा के सरोवरों में कमलों की संख्या-
मेरु पर्वत की पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर इन चारों दिशाओं में स्थित द्रहों का प्रमाण तथा एक-एक ह्रद के दोनों तटों पर स्थित काञ्चनशैलों की संख्या तथा उत्सेध आदि कहते हैं-
विशेष-यमक गिरि पर्वतों से पाँच सौ योजन आगे जाकर सीता और सीतोदा नदी में देवकुरु, उत्तरकुरु, पूर्व भद्रशाल और पश्चिम भद्रशाल इन चार क्षेत्रों के मध्य पाँच-पाँच अर्थात् २० द्रह हैं। ये द्रह नदी के अनुसार यथायोग्य दीर्घ हैं। अर्थात् ये द्रह सीता-सीतोदा नदी के बीच-बीच में हैं, अत: नदी की जहाँ जितनी चौड़ाई है, उतनी ही चौड़ाई का प्रमाण द्रहों का है। इन द्रहों की लम्बाई पद्म द्रह के सदृश १००० योजन प्रमाण है। जिस प्रकार पद्म द्रह में कमलादिक की रचना है, उसी प्रकार इन द्रहों में भी है।।६५६।।
गाथार्थ-नील, उत्तरकुरु, चन्द्र, ऐरावत और माल्यवन्त ये पाँच द्रह सीता नदी के हैं तथा निषध, देवकुरु, सूर, सुलस और विद्युत ये पाँच सीतोदा नदी के द्रहों के नाम हैं।।६५७।।
गाथार्थ-ये सभी सरोवर नदी के प्रवेश एवं निर्गम द्वारों से सहित हैं तथा इन सरोवरों के परिवार आदि कमलों का वर्णन पद्मद्रह के सदृश ही हैं किन्तु सरोवर स्थित कमलों के गृहोंं में नागकुमारी देवियाँ निवास करती हैं।।६५८।।
विशेषार्थ-दोनों नदियों के प्रवाह के बीच में सरोवर हैं और इन सरोवरों की वेदिकाएँ हैं, जो नदी के प्रवेश और निर्गम द्वारों से युक्त हैं। इन सरोवरों के परिवार कमलों का वर्णन पद्मद्रह के परिवार कमलों के सदृश ही हैं। विशेषता केवल इतनी है कि इन कमलों पर स्थित गृहों में नागकुमारी देवियाँ सपरिवार निवास करती हैं।
इन जम्बूद्वीप आदि के पद्मसरोवर आदि की देवियों के कमलों में जितने परिवार कमल हैं उतने ही जिनमंदिर हैं तथा सीता-सीतोदा नदी में २०-२० सरोवर के कमलों में नागकुमारी देवियाँ रहती हैं। वहाँ भी जितने कमल हैं उतने ही जिनमंदिर हैं। ये पद्मसरोवर आदि कमलों के जिनमंदिर व्यंतर देवियों के कहलाते हैं तथा सीता-सीतोदा के कमलों की देवियाँ अनुमानत: भवनवासिनी होंगी। इन कमलों के जिनालय के ३५ व्रत हैं।
व्रतों के लिए कोई तिथि का नियम नहीं है, इच्छानुसार किसी भी तिथि में व्रत कर सकते हैं। उत्तम व्रत विधि उपवास है, मध्यम विधि में अल्पाहार व जघन्यविधि में एक बार शुद्ध भोजन-एकाशन करना है।
जो इस व्रत को करेंगे वे निश्चित ही अकृत्रिम जिनमंदिरों की वंदना की भावना करके एक न एक दिन अकृत्रिम जिनमंदिरों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करके भगवन्तों के पंचकल्याणकों को मनाने का सौभाग्य प्राप्त करेंगे तथा परम्परा से स्वयं अपनी आत्मा को कल्याणकों से पवित्र करके परमात्मा बना लेंगे, यही इस व्रत का फल है।
इस व्रत के करने से महिलाएं भगवान की माता के समान उत्तम-उत्तम पुत्र-पुत्री आदि संतानों को जन्म देकर अपने मानव जीवन को धन्य करेंगी व परम्परा से आत्मा की शुद्धि व सिद्धि को भी प्राप्त करेंगी एवं जो पुरुष इस व्रत को करेंगे वे भी अपने वंश को पवित्र-कीर्तिमान करने वाले संतान के पिता बनेंगे व परम्परा से भगवान के कल्याणकों को मनाने का पुण्य अवसर प्राप्त कर नियम से अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने का भी पुण्य प्राप्त करेंगे।
व्रत के दिन भगवान का पंचामृत अभिषेक करके अकृत्रिम कमल जिनालय पूजा करें।
व्रत के दिन जाप्य करने के मंत्र आगे दिये हैं। इसमें बृहत् मंत्र एवं लघु मंत्र दो प्रकार से दिए हैं, जो बृहत् मंत्र न जप सकें वे लघु मंत्र की भी जाप्य कर सकते हैं। समुच्चय मंत्र की जाप्य प्रत्येक व्रत में करना है।
-समुच्चय मंत्र-
१. ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपसंबंधि-परिवारकमलसमेत-श्रीदेव्यादिषट्कोटि-एकोन-विंशतिलक्ष-एकत्रिंशत्सहस्रद्विशत-द्वासप्तति-अकृत्रिमकमलमध्य-विराजमानसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।
अथवा
२. ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपसंबंधि-परिवारकमलसमेत-श्रीदेव्यादिकमलप्रासादमध्य-विराजमानसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।
जम्बूद्वीप कमल जिनालय के ७ मंत्र
१. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थितपद्मसरोवरमध्य-एकलक्ष-चत्वारिंशतसहस्र-एकशतषोडशप्रमितपरिवारकमलसमेत- श्रीदेवीकमल-प्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
२. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंंबंधि-महाहिमवन्पर्वतस्थित-महापद्मसरोवरमध्य-द्विलक्ष-अशीतिसहस्र-द्विशत-द्वात्रिंशतप्रमितपरिवार-कमलसमेत-ह्रीदेवीकमल-प्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
३. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंंबंधि-निषधपर्वतस्थित-तिगिंछसरोवरमध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमितपरिवारकमलसमेत- धृतिदेवीकमल-प्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
४. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थित-केसरीसरोवरमध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमितपरिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमल-प्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
५. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थितमहापुण्डरीकसरोवरमध्य-द्विलक्ष-अशीतिसहस्र-द्विशत-द्वात्रिंशतप्रमितपरिवार-कमलसमेत-बुद्धिदेवीकमल-प्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
६. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्थित-पुण्डरीकसरोवरमध्य-एकलक्ष-चत्वारिंशत्सहस्र-एकशत-षोडशप्रमित-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवी-कमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा नदी के २० सरोवर कमल का १ मंत्र
७. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीस्थितविंशतिसरोवरमध्य-अष्टाविंशतिलक्ष-द्विसहस्र-त्रिशतविंशतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीनां१ कमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
पूर्वधातकीखण्डद्वीप के कमल जिनालय के ७ मंत्र
८. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थित-पद्मसरोवर-मध्यद्विलक्ष-अशीतिसहस्र-द्विशत-द्वात्रिंशत्प्रमित-परिवारकमलसमेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
९. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवन्पर्वतस्थित-महापद्मसरोवर-मध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवारकममलसमेत-ह्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
१०. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंंबंधि-निषधपर्वतस्थित-तिगिंछसरोवरमध्य-एकादशलक्ष-विंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
११. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थित-केसरीसरोवरमध्य-एकादशलक्ष-विंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
१२. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थितमहापुण्डरीक-सरोवरमध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवारकमल-समेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
१३. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्थित-पुण्डरीकसरोवर-मध्य-द्विलक्ष-अशीतिसहस्र-द्विशत-द्वात्रिंशतप्रमित-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवी कमल प्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा नदी के २० सरोवर के कमल जिनालय का १ मंत्र
१४. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंंबंधि-सीतासीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवर-मध्य-षट्पंचाशतलक्षचतु:सहस्र-षट्शत-चत्वारिंशत्प्रमित-परिवारकमल-समेत-नागकुमारीदेवीनां कमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
पश्चिम धातकीखण्डद्वीप के कमल जिनालय के ७ मंत्र
१५. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थित-पद्मसरोवर-मध्यद्विलक्ष-अशीतिसहस्र-द्विशत-द्वात्रिंशत्प्रमित-परिवारकमलसमेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
१६. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवन्पर्वतस्थित-महापद्म-सरोवरमध्यपंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवारकमल-समेत-ह्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
१७. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थित-तिगिंछसरोवरमध्य-एकादशलक्ष-विंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
१८. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थित-केसरीसरोवरमध्य-एकादशलक्षविंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
१९. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थितमहापुण्डरीक-सरोवरमध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवार-कमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
२०. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्थित-पुण्डरीकसरोवर-मध्य-द्विलक्ष-अशीतिसहस्र-द्विशत-द्वात्रिंशत्प्रमित-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा नदी के २० सरोवर के कमल जिनालय का १ मंत्र
२१. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीतासीतोदानदीस्थित-विंशति-सरोवरमध्य-षट्पंचाशत्लक्ष-चतु:सहस्र-षट्शत-चत्वारिंशत्प्रमित-परिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीनां कमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
पूर्व पुष्करार्धद्वीप के कमल जिनालय के ७ मंत्र
२२. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थित-पद्मसरोवरमध्यपंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवारकमलसमेत-श्रीदेवीकमल-प्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
२३. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-महामहिमवन्पर्वतस्थित-महापद्मसरोवरमध्य-एकादशलक्ष-विंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमितपरिवारकमलसमेत-ह्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
२४. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-निषधपर्वतस्थित-तिगिंछसरोवरमध्य-द्वाविंशतिलक्ष-एकचत्वारिंशत्सहस्र-अष्टशत-षट्पंचाशत्प्रमितपरिवार-कमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
२५. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-नीलपर्वतस्थित-केसरीसरोवरमध्य-द्वाविंशतिलक्ष-एकचत्वारिंशत्सहस्र-अष्टशत-षट्पंचाशत्प्रमित-परिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।४।।
२६. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थित-महापुण्डरीकसरोवरमध्य-एकादशलक्ष-विंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
२७. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-श्िाखरीपर्वतस्थितपुण्डरीकसरोवरमध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६।।
पूर्व पुष्करार्धद्वीप के सीता-सीतोदा नदी के
२० सरोवर कमल जिनालय का १ मंत्र
२८. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीतासीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवरमध्य-एककोटि-द्वादशलक्ष-नवसहस्र-द्विशत-अशीतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीनां कमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
पश्चिमपुष्करार्धद्वीप कमल जिनालय के ७ मंत्र
२९. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थित-पद्मसरोवरमध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवारकमलसमेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
३०. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-महाहिमवत्पर्वतस्थित-महापद्मसरोवर-मध्य-एकादशलक्ष-विंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमित-परिवार-कमलसमेत-ह्रीदेवी कमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
३१. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थित-तिगिंछसरोवरमध्य-द्वाविंशतिलक्ष-एकचत्वारिंशत्सहस्र-अष्टशत-षट्पंचाशत्प्रमित-परिवार-कमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
३२. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थित-केसरीसरोवरमध्यद्वा-विंशतिलक्ष-एकचत्वारिंशत्सहस्र-अष्टशत-षट्पंचाशत्प्रमित-परिवार-कमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
३३. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थित-महापुण्डरीक-सरोवरमध्य-एकादशलक्ष-विंशतिसहस्र-नवशत-अष्टाविंशतिप्रमित-परिवारकमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।५।।
३४. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्थितपुण्डरीकसरोवरमध्य-पंचलक्ष-षष्टिसहस्र-चतु:शत-चतु:षष्टिप्रमित-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६।।
पश्चिम पुष्करार्धद्वीप के सीता-सीतोदा नदी के
२० सरोवर कमल जिनालय का १ मंत्र
३५. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-सीतासीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवर-मध्य-एककोटि-द्वादशलक्ष-नवसहस्र-द्विशत-अशीतिप्रमित-परिवारकमल-समेत-नागकुमारीदेवीनां कमलप्रासादस्थित-एतावज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
अथवा
अकृत्रिम कमल जिनालय व्रत के लघु जाप्य मंत्र (३५ लघु मंत्र)
-समुच्चय मंत्र-
ॐ ह्रीं सार्धद्वयद्वीपसंंबंधि-परिवारकमलसमेत-श्रीदेव्यादिकमल-प्रासादमध्यविराजमानसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।
जम्बूद्वीप कमल जिनालय के ७ मंत्र
१. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थ-पद्मसरोवरमध्य-परिवारकमल-समेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्थितसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
२. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-महाहिमवानपर्वतस्थ-महापद्मसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-ह्रीदेवीकमलप्रासादस्थितसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
३. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थ-तिगिंच्छसरोवरमध्य-परिवार-कमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थितसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
४. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थ-केसरीसरोवरमध्य-परिवार-कमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
५. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थ-महापुण्डरीकसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
६. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्थ-पुण्डरीकसरोवरमध्य-परिवार-कमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा के कमल जिनालय का १ मंत्र
७. ॐ ह्रीं जम्बूद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
पूर्व धातकीखण्डद्वीप के कमल जिनालय के ७ मंत्र
८. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थ-पद्मसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्थितसर्व-जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
९. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवानपर्वतस्थ-महापद्मसरोवर-मध्य-परिवारकमलसमेत-ह्रीदेवीकमलप्रासाद-स्थितसर्वजिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
१०. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थ-तिगिंच्छसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासाद-स्थितसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
११. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थ-केसरीसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
१२. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थ-महापुण्डरीकसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
१३. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्थ-पुण्डरीकसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा के कमल जिनालय का १ मंत्र
१४. ॐ ह्रीं पूर्वधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीतासीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवर-मध्यपरिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
पश्चिम धातकीखण्डद्वीप के कमल जिनालय के ७ मंत्र
१५. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-हिमवत्पर्वतस्थ-पद्मसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्िथत-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
१६. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-महाहिमवानपर्वतस्थ-महापद्मसरोवर-मध्य-परिवारकमलसमेत-ह्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
१७. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंंबंधि-निषधपर्वतस्थ-तिगिंछसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
१८. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थ-केसरीसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
१९. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थ-महापुण्डरीकसरोवर-मध्य-परिवारकमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।५।।
२०. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंंबंधि-शिखरीपर्वतस्थ-पुण्डरीकसरोवर-मध्य-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा के कमल जिनालय का १ मंत्र
२१. ॐ ह्रीं पश्चिमधातकीखण्डद्वीपसंबंधि-सीता-सीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।७।।
पूर्व पुष्करार्धद्वीप के कमल जिनालय के ७ मंत्र
२२. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थ-पद्मसरोवरमध्य-परिवार-कमलसमेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
२३. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवानपर्वतस्थ-महापद्मसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-ह्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।२।।
२४. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-निषधपर्वतस्थ-तिगिंच्छसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
२५. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-नीलपर्वतस्थ-केसरीसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
२६. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थ-महापुण्डरीकसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
२७. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-शिखरीपर्वतस्थ-पुण्डरीकसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा के कमल जिनालय का १ मंत्र
२८. ॐ ह्रीं पूर्वपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीतासीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
पश्चिम पुष्करार्धद्वीप के कमल जिनालय के ७ मंत्र
२९. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-हिमवन्पर्वतस्थ-पद्मसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-श्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।
३०. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-महाहिमवानपर्वतस्थ-महापद्मसरोवर-मध्य-परिवारकमलसमेत-ह्रीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।२।।
३१. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-निषधपर्वतस्थ-तिगिंच्छसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-धृतिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।३।।
३२. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-नीलपर्वतस्थ-केसरीसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-कीर्तिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।।४।।
३३. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-रुक्मिपर्वतस्थ-महापुण्डरीकसरोवर-मध्यपरिवारकमलसमेत-बुद्धिदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।५।।
३४. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंंबंधि-शिखरीपर्वतस्थ-पुण्डरीकसरोवरमध्य-परिवारकमलसमेत-लक्ष्मीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालयजिन-बिम्बेभ्यो नम:।।६।।
सीता-सीतोदा के कमल जिनालय का १ मंत्र
३५. ॐ ह्रीं पश्चिमपुष्करार्धद्वीपसंबंधि-सीतासीतोदानदीस्थित-विंशतिसरोवर-मध्य-परिवारकमलसमेत-नागकुमारीदेवीकमलप्रासादस्थित-सर्वजिनालय-जिनबिम्बेभ्यो नम:।।१।।