तभी एक दिन इंद्र ने असंख्य देव परिवार के साथ प्रभु ऋषभदेव का ‘राज्याभिषेक’ कर दिया।इसीलिए भगवान ऋषभदेव इस भूमि के-पृथ्वी के ‘प्रथम राजा’ विख्यात हुए हैं। उस समय ‘महामुकुट राजाओं के अधिपति’ भगवान ऋषभदेव ही हैं, ऐसा कहकर महाराजा नाभिराय ने प्रभु के मस्तक पर ‘मुकुट’ बांधा था।भगवान ऋषभदेव ने बहुत वर्षों तक राज्य का संचालन करते हुए अयोध्या को ‘सनाथ’ किया था। एक दिन भगवान ने ‘हरि’ ‘अकंपन’, ‘काश्यप’ और ‘सोमप्रभ’ इन चार महाभाग्यशाली क्षत्रियों को बुलाकर उन्हें महामण्डलीक राजा बनाकर राज्याभिषेक करा दिया।
सोमप्रभु को कुरुजांगलदेश की राजधानी हस्तिनापुर, ‘हरिकांत’ को हरिवंश का राजा, अकंपन को ‘नाथवंश’ का राजा एवं ‘काश्यप’ को उग्रवंश का राजा बना दिया। पुन: इन सभी को राजनीति का उपदेश देकर प्रजा को संतुष्ट किया।