१. चक्रवर्ती का शरीर वङ्कावृषभनाराचसंहनन से सहित सम्पूर्ण लक्षणों से युक्त और समचतुरस्रसंस्थान समन्वित था।
२. छ्यानवें हजार रानियाँ थीं। उनमें एक प्रमुख स्त्रीरत्न था।
३. संख्यात हजार पुत्र-पुत्रियाँ थीं।
४. बत्तीस हजार गणबद्ध देव थे।
५. तनुत्र-आत्मरक्षक तीन सौ साठ (३६०) थे।
६. रसोइये ३०६ थे।
७. चौदह रत्न-जिनमें ७ सचेतन एवं ७ अचेतन थे। इनमें से १. अश्व, २. गज, ३. गृहपति, ४. स्थपति, ५. सेनापति, ६. स्त्री, ७. पुरोहित, ये सचेतन रत्न हैं एवं १. छत्र, २. असि, ३. दण्ड, ४. चक्र, ५. काकिणी,
६. चिंतामणि और ७. चर्म ये सात अचेतन रत्न हैं।
८. चक्रवर्ती के बत्तीस यक्ष ३२ चंवर ढुराते थे।
९. बंधुकुल साढ़े तीन करोड़ (३५००००००) थे।
१०. नवनिधियाँ थीं-इनके नाम १. काल, २. महाकाल, ३. पांडु,
४. माणव, ५. शंख, ६. पद्म, ७. नैसर्प, ८. पिंगल और ९. नानारत्न हैं-ये यथायोग्य वस्तुएं देती थीं।
११. चौबीस दक्षिण/मुखावर्त, धवल व उत्तम शंख थे।
१२. एक कोड़ाकोड़ी हल (१००००००००००००००) थे।
१३. छह खण्ड रूप पृथिवी थीं।
१४. रमणीय भेरी और पटह पृथव्â-पृथक् बारह (१२) थे। जिनका शब्द बारह योजन प्रमाण देश में सुना जाता था।
१५. गायों की संख्या तीन करोड़ थी।
१६. एक करोड़ थालियां थीं।
१७. चौरासी लाख हाथी थे।
१८. चौरासी लाख रथ थे।
१९. अठारह करोड़ घोड़े थे।
२०. चौरासी करोड़ उत्तम वीर थे।
२१. अनेक करोड़ विद्याधर थे।
२२. अठासी हजार म्लेच्छ राजा थे।
२३. बत्तीस हजार मुकुटबद्ध राजा थे।
२४. बत्तीस हजार नाट्यशालाएँ थीं।
२५. बत्तीस हजार संगीतशालाएं थीं।
२६. अड़तालीस करोड़ पदाति थे।
२७. बत्तीस हजार देश थे।
२८. छ्यानवें करोड़ ग्राम थे।
२९. पचहत्तर हजार नगर थे।
३०. सोलह हजार खेट थे।
३१. कर्वट चौबीस हजार थे।
३२. चार हजार मटंब थे।
३३. अड़तालिस हजार पत्तन थे।
३४. निन्यानवें हजार द्रोणमुख थे।
३५. चौदह हजार संवाहन थे।
३६. छप्पन अंतर्द्वीप थे।
३७. सात सौ कुक्षिनिवास थे।
३८. अट्ठाईस हजार दुर्ग थे।
३९. चक्रवर्ती के दशांग भोग थे-१. दिव्यपुर, २. रत्न, ३. निधि,
४. चमू-सैन्य, ५. भाजन, ६. भोजन, ७. शय्या, ८. आसन, ९. वाहन और १०. नाट्य, ये दशांग भोग थे।