चैत्य चैत्यालयादीनां निर्मापणपुरस्सरम्। स चक्रे परमामिज्यां कल्पवृक्ष-पृथुप्रथाम्।।१०८।।
अर्थात् भरत चक्रवर्ती ने अनेक जिनबिम्ब और जिनमंदिरों की रचना कराकर कल्पवृक्ष नाम का बहुत बड़ा यज्ञ (पूजन) किया।