रचयित्री-प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
तर्ज—प्रभु नेमि बता जाना…….
प्रभु ऋषभ जहाँ जनमें, खेले जहाँ बचपन में,
मरुदेवी के आंगन में, वह नगरि अयोध्या है।।१।।
जहाँ राज्य किया प्रभु ने, जहाँ त्याग किया प्रभु ने,
चले तप करने वन में, वह नगरि अयोध्या है।।२।।
श्री भरत जहाँ जनमें, चक्रीश प्रथम बन के,
यशस्वति माता से, वह नगरि अयोध्या है।।३।।
जहाँ ब्राह्मी-सुन्दरि ने, विद्या सीखी पितु से,
उनकी भी जनमभूमी, वह नगरि अयोध्या है।।४।।
प्रभु अजित व अभिनन्दन, सुमती अनन्त भगवन्,
जिस भूमी पर जनमें,वह नगरि अयोध्या है।।५।।
कई बार धनद आए, रत्नों को बरसाएं,
जिनमाता के आंगन में, वह नगरि अयोध्या है।।६।।
उस तीर्थ अयोध्या में, श्री ज्ञानमती माँ ने,
इतिहास रचाया है, उसे स्वर्ग बनाया है।।७।।
इसलिए ‘‘चन्दनामती’’, पावन है यह धरती,
इसकी यात्रा कर लो,वह नगरि अयोध्या है।।८।।