आदिपुराण ग्रंथ में लिखा है-
संबुद्धोऽनन्तवीर्यश्च गुरो: संप्राप्तदीक्षण:।
सुरैस्वाप्तपूजर्द्धिरग्रयो मोक्षवतामभूत्।।१८१।।११
अर्थ—भरत के भाई अनंतवीर्य ने भी सम्बोध पाकर भगवान से दीक्षा प्राप्त की थी, देवों ने भी उसकी पूजा की थी और वह इस अवसर्पिणी युग में मोक्ष प्राप्त करने के लिए सबमें अग्रगामी हुआ था।
भावार्थ—इस युग में अनंतवीर्य ने सबसे पहले मोक्ष प्राप्त किया था।