-स्थापना-
तर्ज-मेरे देश की धरती……..
मंदिर की धरती पुण्य प्रदात्री पाप तिमिर हर लेती,
मंदिर की धरती…….।।टेक.।।
पश्चिम दिल्ली के जिनमंदिर, भक्तों के लिए अवलम्बन हैं।…..
सम्यग्दर्शन के साधन हैं, हम करें इन्हें शत वन्दन है।।
हो……ओ………ओ,
आह्वानन स्थापन कर लो-२, ये सुख सम्पत्ति है देती,
मंदिर की धरती……..२।।१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमसंभागस्थितसमस्त-जिनमंदिरजिनप्रतिमासमूह! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमसंभागस्थितसमस्त-जिनमंदिरजिनप्रतिमासमूह! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनं।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमसंभागस्थितसमस्त-जिनमंदिरजिनप्रतिमासमूह! अत्र मम सन्निहिता: भव भव वषट् सन्निधीकरणं।
-अष्टक (नंदीश्वर पूजन छंद)-
मुनि मन सम निर्मल नीर, सुवरण भृंग भरूँ।
जिन चरणाम्बुज में धार, कर जगद्वन्द्व हरूँ।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
मुनि वच सम शीतल गंध, घिस प्रभु पद चर्चंू।
मिल जावे आत्म सुगंध, भव आतप हर लूँ।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: संसारतापविनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।
गुरुगुण सम उज्वल धौत, अक्षत थाल भरे।
प्रभु पाद निकट धर पुंज, अक्षय सौख्य भरे।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा।
मुनि कीर्ति सदृश हैं पुष्प, कुंद गुलाब लिये।
मदनारिविजयि जिनराज, पाद समर्प्य दिये।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
मुनि त्याग सदृश हैं शुद्ध, व्यंजन थाल भरे।
परमामृत से जो तृप्त, उन पद पूज करें।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
वर भेदज्ञान सम ज्योति, जगमग दीप जले।
जिनपद पूजत ही शीघ्र, ज्ञान उद्योत मिले।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
वर अष्ट गंध की धूप, लेकर दहन करूँ।
हों कर्म मेरे सब नष्ट, प्रभु पद नमन करूँ।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
श्रीफल अंगूर बदाम, से अर्चन प्रभु का।
देता क्रम से शिवधाम, है वन्दन प्रभु का।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।
ले स्वर्ण थाल में अर्घ्य, प्रभु पद अर्पित है।
‘‘चन्दनामती’’ हो अनर्घ्य, पद ये अपेक्षित है।।
पश्चिम दिल्ली जिनधाम, पूजूँ मैं मन से।
बनते हैं बिगड़े काम, प्रभु पद अर्चन से।।९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिरेभ्य: अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
-दोहा-
मंदिर एवं मूर्तियाँ, नवदेवों में देव।
शांतीधारा की क्रिया, है सुख शांती हेत।।१०।।
शांतये शांतिधारा।।
मंदिर में प्रभु के निकट, पुष्पांजलि चढ़ाय।
हृदय कमल विकसित करूँ, गुणपुष्पों को पाय।।११।।
दिव्य पुष्पांजलि:।।
।।अथ मण्डलस्योपरि पुष्पांजलिं क्षिपेत्।।
(३७ अर्घ्य)
पश्चिमी दिल्ली दिगम्बर जैन मंदिर अर्घावली
जिनमंदिर को नित नमूँ, दिल्ली नजफगढ़ धाम।
अर्घ्य चढ़ाकर मैं चहूँ, स्वातमपद विश्राम।।१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे नजफगढ़स्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
श्री भरतक्षेत्र की रचना से भूगोल जहाँ दरशाया है।
श्री गणिनीप्रमुख ज्ञानमति की प्रेरणा का पुष्प खिलाया है।।
उस रचना परिसर के सब जिनबिम्बों को अर्घ्य समर्पण है।
पावापुर सिद्धक्षेत्र की प्रतिकृति को भी मेरा वन्दन है।।२।।
-दोहा-
क्षेत्र नजफगढ़ है बना, दिल्ली का इक तीर्थ।
उसकी पूजा अर्चना, करो बढ़ेगी कीर्ति।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे नजफगढ़-भरतक्षेत्ररचनास्थित समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
जनकपुरी में जिनभवन, है भक्तों का केन्द्र।
अर्घ्य चढ़ाकर पा सवूँâ, मैं भी आतमक्षेत्र।।३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे बी-१, जनकपुरीस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
-कुसुमलता छंद-
महावीर प्रभु का जिनमंदिर, जनकपुरी सी-टू में है।
अष्टद्रव्य का अर्घ्य चढ़ाकर, शीश नमाकर वंदूं मैं।।४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सी-२ ए जनकपुरीस्थित-श्रीवीरजिनालयस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
जिनचैत्यालय का दर्शन, भक्तों का अघतम हरता है।
अर्घ्य चढ़ाकर मैं नित पूजूँ, सुखमय जीवन करता है।।५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सी-१/५२, जनकपुरीस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरचैत्यालयस्य मूलनायकश्रीमहावीर-जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
–दोहा–
सागरपुर जिनधाम में, शोभ रहे भगवान।
अर्घ्य चढ़ाकर पूजहूँ, होवे मम कल्याण।।६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे मेन सागरपुर-स्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
–शंभु छंद-
महावीर भगवान का मंदिर, विजयविहार में निर्मित है।
उत्तम नगर जिनालय के, बिम्बों को अर्घ्य समर्पित है।।७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे पी-६ विजयविहार-उत्तमनगरस्थित-श्रीमहावीरपंचायतीमन्दिरस्य मूलनायक-श्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
मेल मिलाप कराने वाला पार्श्वनाथ जिनमंदिर है।
मिलापनगर मंदिर के सब बिम्बों को अर्घ्य समर्पण है।।८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे एफ-२५, मिलापनगर-उत्तमनगरस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथ जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
दिल्ली के पश्चिम भाग विकासपुरी में इक जिनमंदिर है।
इस महावीर जिनमंदिर में भक्ती का भरा समन्दर है।।
जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमाओं का वन्दन भव दुख हरता।
भक्ति से अर्घ्य चढ़ा लो सब सम्यक्त्व रत्न इससे मिलता।।९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे एम ब्लॉक, विकासपुरीस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
तर्ज-जिनमंदिर का निर्माण……
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब पूजन करें।।टेक.।।
नंगली डेरी निरंजन पार्क में,
जय जय पार्श्वनाथ मंदिर का धाम है।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान,
चलो सब अर्चन करें।।जिनमंदिर हैं…..।।१०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे निरंजनपार्क-नंगलीडेरीस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायक-श्रीपार्श्वनाथजिनप्रतिमा-सहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
उत्तमनगर के विश्वासपार्क में, चन्द्रप्रभू तीर्थंकर विराजें।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।११।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे टी-एक्स २५५-विश्वासपार्क, उत्तमनगरस्थित-श्रीचन्द्रप्रभजिनमन्दिरस्य मूलनायक-श्रीचन्द्रप्रभजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।११।।
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
हरिनगर के घंटाघर पर, मंदिर में राजें वीर जिनेश्वर।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।१२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सी.बी.-२, हरिनगर, घंटाघरस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिन-प्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१२।।
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
देखो झड़ौदाकलां मंदिर में, महावीर की प्रतिमा विराजें।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।१३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे झड़ौदाकलां-स्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१३।।
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
कर्मपुरा के आई ब्लॉक में, आदिनाथ मूलनायक विराजें।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।१४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे आई ब्लॉक-कर्मपुरास्थितपंचायतीमंदिरस्य मूलनायकश्रीआदिनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१४।।
–दोहा–
दिल्ली पालम गांव में, है जिनमंदिर धाम।
शांतिनाथ भगवान युत, सबको करूँ प्रणाम।।१५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे पालमगांवस्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१५।।
तर्ज-जिनमंदिर का निर्माण……
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
केशवपुरम् में महावीर मंदिर, वीरा के संग कई प्रतिमाएँ सुंदर।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।१६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे ए-२, केशवपुरम्स्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१६।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
साधनगर पालमकालोनी में, महावीर प्रभु के दर्श होंगे।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।१७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे साधनगर-पालमकालोनीस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिन-प्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१७।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
पालम गांव में शांति जिनालय, भक्तों की भक्ती का है आलय।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।१८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे जैनपब्लिकस्कूल-पालमगांवस्थित-श्रीआदिनाथजिनचैत्यालयस्य मूलनायकश्रीआदिनाथजिन-प्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१८।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब दर्शन करें।।
नांगलोई के जिनमंदिर में, श्री जिनवर की भक्ति का रंग है।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।१९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे वार्ड-११, १२, नांगलोईस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिन-प्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१९।।
-शेर छंद-
पालम में एयरफोर्स स्टेशन के निकट में।
श्री शान्तिनाथ मंदिर भक्ति का केन्द्र है।।
इन मूलनायक प्रभु को अर्घ्य थाल चढ़ाऊँ।
सब मूर्तियों को अर्घ्य चढ़ा शीश नमाऊँ।।२०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे एयरफोर्स स्टेशन-पालमस्थित-श्रीशांतिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीशांतिनाथ-जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२०।।
तर्ज-जिनमंदिर का निर्माण……….
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
नांगलोई के अध्यापक नगर में, मूलनायक आदिनाथ प्रभुवर हैं।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे डी-४७, अध्यापकनगर-नांगलोईस्थित-श्रीआदिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायक-श्रीआदिनाथ-जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२१।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
पार्श्वनाथ मंदिर है पश्चिम विहार में, भक्त करें प्रभु महिमा का गान है।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे पश्चिमविहारस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथ-जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२२।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
सुन्दरविहार आदिनाथ जिनालय, आदिनाथ की भक्ति का आलय।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सुन्दरविहार-स्थित-श्रीआदिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीआदिनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२३।।
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
दिल्ली वैंâट के सदर बाजार में, प्रभु महावीर का मंदिर बना है।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सदरबाजार-दिल्ली वैंâटस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२४।।
-शंंभु छंद-
श्रीपार्श्वनाथ जिनमंदिर दिल्ली गेट में है प्राचीन बना।
प्रभु पार्श्वनाथ की पूजन से भक्तों के मन आनन्द घना।।
श्री गौतम गणधर कथित जिनालय-जिनप्रतिमा देवता कहे।
हम अर्घ्य चढ़ाकर पद अनर्घ्य पाने हेतू प्रार्थना करें।।२५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे गोपीनाथबाजार-दिल्लीगेटस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२५।।
तर्ज-जिनमंदिर………
जिनमंदिर है पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब पूजन करें।।
पीरागढ़ी है रोहतक रोड पे, आदिनाथ प्रभु मंदिर सुशोभे।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे पीरागढ़ी-रोहतकरोडस्थित-श्रीआदिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीआदिनाथजिन-प्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२६।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब पूजन करें।।
जे.जे. कालोनी इन्द्रपुरी में, महावीर मंदिर निर्मित है।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे जे.जे.कालोनी-इन्द्रपुरीस्थित-श्रीमहावीरजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२७।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब पूजन करें।।
द्वारिकापुरी का सेक्टर बारह, आदिनाथ का मन्दिर वहाँ है।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सेक्टर-१२, द्वारिकास्थित-श्रीआदिनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीआदिनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२८।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब दर्शन करें।।
रामापार्क-द्वारिकारोड पर, मंदिर में हैं मुनिसुव्रत जिनवर।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।२९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे रामापार्क, ए-७८, द्वारकामोड़स्थित-श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायक-श्रीमुनिसुव्रतनाथ-जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२९।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब दर्शन करें।।
घेवरामोड़ रोहतक रोड पर, आत्मसाधना मंदिर वहाँ पर।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।३०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे घेवरामोड़ रोहतकरोडस्थित-आत्मसाधनामंदिरस्यमूलनायकश्रीमहावीरजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३०।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब दर्शन करें।।
पालम एयरपोर्ट महरमनगर में, पार्श्वनाथ मंदिर अति शोभे।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।३१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे पालम एयरपोर्ट-महरमनगरस्थित-श्रीपार्श्वनाथजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथ-जिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३१।।
-शंभु छंद-
श्री रत्नत्रय जिनमंदिर से द्वारिका की महिमा छाई है।
इस मंदिर ने आचार्य प्रज्ञसागर की प्रेरणा पाई है।।
रत्नत्रय के आराधक ने रत्नत्रय मंदिर बनवाया।
श्रीपार्श्वनाथ की प्रतिमा का अतिशय इस मंदिर में छाया।।
-दोहा-
शिखरयुक्त मंदिर तथा, प्रभु को अर्घ्य चढ़ाय।
इच्छित फल पाते जहाँ, भक्त बड़े हरषाय।।३२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सेक्टर-१०, द्वारकास्थितरत्नत्रयजिनमन्दिरस्य मूलनायकश्रीपार्श्वनाथजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३२।।
जिनमंदिर हैं पुण्य के धाम, चलो सब दर्शन करें।
इनकी पूजन का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।
अशोका एन्क्लेव में जिनमंदिर, आदिनाथ प्रभु प्रतिमा सुन्दर।
अर्घ्य अर्पण का पुण्य महान, चलो सब अर्चन करें।।३३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे अशोका एन्क्लेव पासपीरागढ़ी चौक स्थित श्रीआदिनाथजिनमंदिरस्य मूलनायक श्रीआदिनाथजिन-प्रतिमासहितसमस्त जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३३।।
-शंभु छंद-
दिल्ली के बालीनगर में इक जिनधाम मनोरम शोभ रहा।
श्री चन्द्रप्रभु तीर्थंकर की, सुन्दर है मनोहारि प्रतिमा।।
शुभ अर्घ्य थाल लेकर जिनमंदिर एवं जिनप्रतिमा को नमूँ।
संसार अब्धि से तिरने को जिनभक्ती नौका प्राप्त करूँ।।३४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे बालीनगर स्थितश्री चन्द्रप्रभजिनमंदिरस्य मूलनायक श्री चन्द्रप्रभुजिनप्रतिमासहित समस्त-जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३४।।
सागरपुर के श्री शांतिनाथ प्रभु, सबको शांतिप्रदाता है।
जिनका दर्शन वंदन भव्यों को, अतिशय सौख्य दिलाता है।।
जिनमंदिर एवं वहाँ विराजित जिनप्रतिमाओं को वंदूँ।
आत्मा को शाश्वत सौख्य मिले, निज कर्म अरी को मैं खंडूँ।।३५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे सागरपुर स्थित श्रीशांतिनाथजिनमंदिरस्य मूलनायक श्री शांतिनाथजिनप्रतिमासहितसमस्त जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३५।।
द्वारका मोड़ पर कहलाती, इक रामविहार कालोनी है।
श्री मुनिसुव्रत भगवान का मंदिर जिनसंस्कृति की निशानी है।।
शनिग्रहनाशक मुनिसुव्रत प्रभु, उनको शुभ अर्घ्य चढ़ाना है।
सम्यक्त्व मेरा नित सुदृढ़ बने, यह भाव हृदय में लाना है।।३६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे रामाविहार कालोनी स्थित श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनमंदिरस्य श्रीमुनिसुव्रतनाथजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३६।।
लोनी बार्डर के निकट एक बलरामनगर भी आता है।
जहाँ पार्श्वनाथ प्रभु का जिनमंदिर अनुपम सौख्य प्रदाता है।।
भवसंकटहर्ता, विघ्ननिवारक पार्श्वनाथ प्रभु को पूजूँ।
शुभ अर्घ्य थाल अर्पण करके, सब जिनप्रतिमाओं को भी वंदूँ।।३७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पश्चिमीक्षेत्रे बलरामनगर, जवाहरनगर निकट लोनी बार्डर स्थित श्री पार्श्वनाथ जिनमंदिरस्य श्री पार्श्वनाथ जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३७।।
शांतये शांतिधारा, दिव्य पुष्पांजलि:।
जाप्य मंत्र-ॐ ह्रीं राजधानीदिल्लीस्थितसर्वजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:। (९ बार जपें)
-शेर छंद-
जैवन्त हों जिनेन्द्र प्रभु के धाम जगत में।
जैवन्त हों जिनेन्द्र प्रभु के नाम जगत में।।
जैवन्त हों आत्मा के पुण्यधाम जगत में।
जैवन्त हों कल्याण के शुभ धाम जगत में।।१।।
जब पंचकल्याणक से मूर्तियाँ पवित्र हों।
मंदिर तभी बनते हैं, वेदियों से युक्त हों।।
मंदिर में जब उत्तुंग शिखर शोभने लगते।
स्वर्णिम कलश व ध्वजा से मन मोहने लगते।।२।।
मंदिर का घंटा नाद जब जन-जन को जगाता।
हर मन के मोहतिमिर को वह शीघ्र भगाता।।
प्रभु जी के आजू बाजू में चौंसठ चंवर ढुरें।
जो ढोरते हैं चंवर उनपे भी चंवर ढुरें।।३।।
मंदिर में प्रभु के ऊपर त्रय छत्र लगते हैं।
त्रैलोक्य के स्वामी हैं नाथ ऐसा कहते हैं।।
प्रभु छत्रछाया पाने हेतु छत्र चढ़ाना।
माता-पिता की छाया में जीवन को बिताना।।४।।
दिल्ली के पश्चिम भाग के मंदिर सभी नमूँ।
सब मंदिरों की मूर्तियों के चरणों में प्रणमूँ।।
जयमाला का पूर्णार्घ्य ले प्रभु पद में समर्पंू।
मैं ‘चन्दनामती’ निजातमा का रस चखूँ।।५।।
-दोहा-
जिनमंदिर जिनमूर्ति को, वंदूँ बारम्बार।
मन इच्छित सब पूर्ण हो, मिले सौख्य भण्डार।।६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्यराजधानीदिल्लीमहानगरस्य पश्चिमसंभागस्थित-समस्तजिनमंदिर-जिनप्रतिमाभ्य: जयमाला महार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा, दिव्य पुष्पांजलि:।
तर्ज-मैया हो गंगा……
देवा…..हो जिनवर देवा, देवा….हो जिनवर देवा,
चक्रवर्ती तथा इन्द्र की सम्पदा, मिलती है यदि करें हम प्रभू अर्चना,
…..प्रभू अर्चना।।देवा…हो……
चन्दा सूरज में जब तक के ज्योती रहे, दिल्ली के मंदिरों की कीर्ति रहे,
…..कीर्ति रहे।।देवा……हो जिनवर देवा।।
।।इत्याशीर्वाद:, पुष्पांजलिं क्षिपेत्।।