-शंभु छंद-
श्री शांतिनाथ गृहचैत्यालय में आर्षमार्ग का पालन है।
जहाँ पंचामृत अभिषेक शांतिधारा से करे मन पावन हैं।।
श्रावक श्रीजिनराज का यह चैत्यालय प्रेरणादायी है।
मैं अर्घ्य चढ़ाकर नमूँ प्रभू को हों ये मंगलदायी हैं।।१।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे सिविललाइंस राजपुररोड गृहचैत्यालयेविराजमान मूलनायक श्रीशांतिनाथप्रतिमा-सहितसमस्त-जिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१।।
इक ग्रीनपार्क दिल्ली में श्रीपद्मप्रभ का चैत्यालय है।
श्री पदमपुरा तीरथ के भक्त माला-अरिहंत का निलय है ये।।
इस चैत्यालय के जिनवर को सब अर्घ्य चढ़ाकर नमन करो।
गृहचैत्यालय में पद्मप्रभ श्री जिनवर का दर्शन कर लो।।२।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे ग्रीनपार्कस्थितगृहचैत्यालये विराजमान मूलनायक श्रीपद्मप्रभप्रतिमा-सहितसमस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।२।।
दक्षिण दिल्ली की ज्ञानवाटिका में भी इक चैत्यालय हैै।
श्रीमती मालती के द्वारा निर्मित ये ऋषभ जिनालय है।।
उन चैत्यालय के प्रभुवर को भक्ति से अर्घ्य चढ़ाना है।
निज घर को भी गुरु देवशास्त्र से पावन तुम्हें बनाना है।।३।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे बसंतकुंजस्थित-ज्ञानवाटिकायां गृहचैत्यालये विराजमान मूलनायकतीर्थंकरश्रीऋषभदेवप्रतिमा-सहितसमस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।३।।
दक्षिण दिल्ली के अर्जुननगर में, इक चैत्यालय शोभ रहा।
भगवान पद्मप्रभु राज रहे, सौभाग्यसगर प्रेरणा वहाँ।।
श्री दिनेश और विवेक जैन के गृह उपवन में निर्मित है।
मैं भक्ति भाव से नित प्रणमूँ मेरा शुभ अर्घ्य समर्पित है।।४।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे अर्जुननगर स्थितगृह-चैत्यालये विराजमान मूलनायक श्री पद्मप्रभप्रतिमासहित समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।४।।
बंगाली मार्वेâट दिल्ली में गृह चैत्यालय को वन्दन है।
थे ठेकेदार जिनेन्द्रप्रसाद किया उनने मूर्ति स्थापन है।।
यह बड़े बुजुर्गों के दर्शन की प्रतिज्ञा का इक साधन है।
उस चैत्यालय के प्रभु को अर्घ्य चढ़ा करते अभिवादन हैं।।५।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे बंगालीमार्वेâट-४ टोडरमलरोडस्थित गृहचैत्यालये विराजमान मूलनायकतीर्थंकरश्रीचन्द्रप्रभ-जिनप्रतिमा-सहितसमस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।५।।
बंगाली मार्वेâट दिल्ली में आदिनाथ चैत्यालय है।
वीरकुमार डोटिया हूमड़ जैन दिगम्बर आलय है।।
इन्द्र-इन्द्राणी बन श्रावक श्राविका करें अभिषेक जहाँ।
अर्घ्य चढ़ाकर सब प्रतिमा को नमन करूँ शिर टेक यहाँ।।६।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे बंगाली मार्वेâट-६२ स्थित गृहचैत्यालये विराजमान मूलनायकतीर्थंकरश्रीआदिनाथजिनप्रतिमा-सहितसमस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।६।।
दिल्ली के पहाड़ीधीरज में जिनमंदिर वाली गली चलो।
प्रभु पार्श्वनाथ चैत्यालय में पुखराज के चंद्रप्रभु को नमो।।
श्रावक श्री मनोहरलाल का गृहचैत्यालय यह कहलाता है।
सरस्वति-लक्ष्मी चक्रेश्वरि आदि को भी वहाँ पूजा जाता है।।७।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे पहाड़ीधीरज-मंदिर गली स्थित गृहचैत्यालये विराजमान मूलनायकतीर्थंकरश्रीपार्श्वनाथजिनप्रतिमा-सहितसमस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।७।।
राजाबाजार में मंदिर के पीछे इक जिनचैत्यालय है।
धीरेन्द्र-सुनंदा के घर में श्रीऋषभदेव का आलय है।।
इस गृहचैत्यालय की प्रतिमा को भक्ती अर्घ्य समर्पण है।
इस आर्षमार्ग की परम्परा संरक्षण में सब मंगल है।।८।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे राजाबाजारस्थित गृहचैत्यालये विराजमान मूलनायकतीर्थंकरश्रीऋषभदेवजिनप्रतिमासहित-समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।८।।
-शंभु छंद–
गाजियाबाद उ.प्र. के लोनी रोड पे मंदिर है।
सुन्दर है नाम गुलाब वाटिका, पार्श्वनाथ जी जिनवर हैं।।
क्षुल्लिका राजमती माताजी की अथक साधना से निर्मित।
मैं नमन करूँ शिर टेक यहाँ अरु पावन अर्घ्य करूँ अर्पित।।९।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरे समीपवर्ति गुलाबवाटिका लोनी रोड स्थित श्री जिनमंदिरे विराजमान समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।९।।
-शंभु छंद-
इंदिरा हवाई अड्डा के निकट मोहम्मदपुर है शाहबाद।
वहाँ स्थित जैन कालोनी के जिनमंदिर में प्रभु पार्श्वनाथ।।
दक्षिण दिल्ली का यह मंदिर अर्घ्य चढ़ाकर नमन करूँ।
निज को भगवान बनाने हित भगवान के पद में नमन करूँ।।१०।।
ॐ ह्रीं भारतदेशस्य राजधानीदिल्लीमहानगरस्य शाहबाद मोहम्मदपुर स्थितश्री पार्श्वनाथजिनंदिरस्य मूलनायक श्रीपार्श्वनाथप्रतिमासहित समस्तजिनप्रतिमाभ्य: अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।।१०।।