श्री १००८ आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बाजार जिला नागपुर
महान धरा के नाम की सत्यता को उजागर करता महाराष्ट्र भारत का बहुत ही सुन्दर प्रदेश हैं। यहाँ विभिन्न धर्मों के सैकड़ों सूफी, संतों की समाधियाँ एवं गुफा मंदिर स्थित है। भारत का केन्द्र बिन्दु और महाराष्ट्र का गौरव नागपुर शहर जिसका अपना अलग ही आकर्षण है। और यहाँ से कई राजमार्ग जैसे नागपुर से रायपुर, जबलपुर, बैतूल, निजामाबाद, अमरावती, अकोला इत्यादि निकलते हैं। तो आइयें चले देखें एक अति प्राचीन अतिशय क्षेत्र के दर्शनार्थ नागपुर अमरावती रोड़ पर स्थित श्री १००८ आदिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बाजार गांव जो कि नागपुर से ३५ किलोमीटर दूर स्थित है। यह क्षेत्र जहाँ ६ शिखरयुक्त में ९ वेदियाँ विराजमान है। कहते हैं यह १००० वर्ष पुराना जैन मंदिर हैं जहाँ पूर्व में कई जैन परिवार रहा करते थे, एक बार ऐसी भयानक बीमारी फैली और जैन बंधु इस गांव को छोड़कर अन्य जगह चले गये। आज यहाँ पर एक भी जैन परिवार नहीं रहता है, यहाँ कार्यरत मंदिर के मैनेजर एवं पुजारी ही परिवार सहित रहकर इस क्षेत्र की देख रेख कर रहे हैं। जिसकी प्रबंध व्यवस्था श्री दिगम्बर जैन भगवान महावीर इतवारी के अंतर्गत हैं। श्री १०८ सुपार्श्वनाथ भगवान की सातिशय चमत्कारी मूर्ति होने से यह अतिशय क्षेत्र है।
अतिशय
(१)एक भी जैन परिवार नहीं होने के बावजूद १००० वर्ष हो जाने तथा मुसलमानों की बस्तियों के बीच आज भी पूर्णतया सुरक्षित है।
(२) जिस समय यहाँ पंच कल्याण हुआ था सुपार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमाजी को दो आदमी बैलगाड़ी में रखकर लाये थे, परन्तु पंच कल्याणक के बाद इस मूर्ति को जब समीपवर्ती रामटेक में विराजित करने के लिये जाने का समय आया तो दस आदमी भी उसे उठा नहीं सके और मूर्ति जरासी भी टस से मस नहीं हुई और मूर्ति यहाँ ही विराजित की गई, जब से लगातार अतिशय होते रहते हैं।
(३)मध्यरात्रि के उपरान्त इस प्रतिमा का अतिशय, मंदिर की घंटियों के साथ, घुंघरों एवं गंधर्वगान जैस स्वर सुनाई देते हैं। ऐसे अतिशयकारी के परिभ्रमण करने से जहाँ एक ओर धार्मिक आस्था निर्मित होती है वहीं दूसरी और प्राकृति करमणीय दृश्यों को देखकर मन पुलकित हो उठता है। जीवन में एक बार दर्शन लाभ के साथ पुण्य र्अिजत करने का सौभाग्य प्राप्त कर जीवन को धन्य बना सकते हैं।
समीपवर्ती क्षेत्र /जिनालय
(१) यहाँ से १३ कि.मी. दूर हाईवे पर व्याहाड गांव है जो कि १४ माइल के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। मल्लिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हैं।
(२) रामटेक, पारशिवनी, कामठी, नागपुर के जैन मंदिरों के दर्शन लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। ठहरने के लिये धर्मशाला है, तथा पूर्व सूचना पर भोजन व्यवस्था हो जाती है। सम्पर्क सूत्र—मैनेजर श्री नरेन्द्र कुमार जैन फान. ०७११८—२७७४१८१ अधिक जानकारी के लिये लेखक से भी संपर्क किया जा सकता है।